Himachal Pradesh News: ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला ऐतिहासिक शहर है. यहां हर इमारत के साथ एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है. ब्रिटिश शासन काल के दौरान शुरू हुई कई दुकानें भी शिमला में आज भी मौजूद हैं, जहां बड़ी संख्या में जहां रोजाना लोगों की भारी भीड़ लगी रहती है. शिमला की एक ऐसी ही ऐतिहासिक दुकान है मिनोचा घी स्टोर. यह दुकान साल 1938 में शुरू हुई थी और आज 86 साल बाद भी लोगों को देसी घी का स्वाद चखा रही है.
86 साल से देसी घी का खास स्वाद
साल 1938 में इस दुकान की शुरुआत एस.एम. मिनोचा ने की थी. शिमला के कैथू इलाके से शुरू हुई यह दुकान अब लोअर बाजार में है. 86 साल पहले शुरू हुई इस दुकान का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है. जब दुकान की शुरुआत हुई तब करीब एक हफ्ते तक कोई भी ग्राहक दुकान में आया ही नहीं आया. जब दुकान में पहला ग्राहक आया, तो उसने एक टका खर्च करने की इच्छा जाहिर की. इस पर दुकान मालिक ने कहा कि घी के कनस्तर में उंगली डुबो लीजिए और वापस चले जाइए. शुरुआत में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर धीरे-धीरे दुकान चलने लगी.
इस दुकान से शांता कुमार की भी रहा नाता
साल 1990 में दुकान मालिक ने अपना काम आगे बढ़ाया और घी व सरसों के तेल के अलावा सेब के जूस का काम भी शुरू किया. दुकान मालिक अश्वनी मिनोचा बताते हैं कि ऐसा करने के लिए उन्हें हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा था. हालांकि दुकान मालिक आटे की मिल लगाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें सेब राज्य में सेब का जूस बनाने के लिए कहा. शुरुआत में प्रचार-प्रसार के लिए मुफ्त सामान बेचा, लेकिन वह सामान भी वापस आ गया. 1990 के दशक में ही दुकान मालिक को दो लाख का भारी नुकसान हुआ. इसके बाद साल 1992 में पहली बार चंडीगढ़ मेले में 72 हजार की सेल हुई और फिर काम चल निकला. आज 86 साल बाद इस दुकान में घी और सरसों तेल के अलावा जैम, चटनी, आचार, शहद और चूली का तेल बड़ी संख्या में बिकता है. इसके लिए साधुपुल और शोघी में दो बड़े प्लांट काम कर रहे हैं. दुकान का सारा काल लोकल स्तर पर होता है.
PM मोदी भी इस दुकान में आते थे
शिमला की इस ऐतिहासिक दुकान से न केवल तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार का रिश्ता है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस दुकान से जुड़े रहे हैं. साल 1990 के दशक में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल बीजेपी के प्रभारी थे, तब वे अक्सर इस दुकान पर आया करते थे. इस दुकान से कुछ दूरी पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी ठिकाना था, जहां वे रहा करते थे. आते-जाते अक्सर वे दुकान पर बैठते और पार्टी का काम करते थे. अश्वनी मिनोचा बताते हैं कि उनका नरेंद्र मोदी के साथ दोस्त जैसा संबंध था, लेकिन किसे पता था कि एक दिन नरेंद्र मोदी सत्ता के शीर्ष पर पहुंचेंगे.
ब्रिटिश हुक्मरानों की क्रूरता का किस्सा
दुकान मालिक अश्वनी मिनोचा ब्रिटिश शासन काल के दौरान का किस्सा साझा करते हुए बताते हैं कि लोअर बाजार से मालरोड की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर पदम देव नामक व्यक्ति की दुकान हुआ करती थी. आजादी से पहले भारतीयों को मालरोड पर जाने की इजाजत नहीं थी. एक बार पदम देव गलती से मालरोड पर चले गए. ब्रिटिश प्रशासकों ने पदम देव को सजा के तौर पर उनके हाथ बांधकर सीढ़ियों से नीचे फेंक दिया. इस दौरान पदम देव के पैर पर गहरी चोट आ गई और बाद में इसी चोट के चलते उनकी मौत भी हो गई. अश्वनी मिनोचा बताते हैं कि ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीयों पर भारी जुल्म किए जाते थे, लेकिन आज इस बात की खुशी है कि देश स्वतंत्र खुली हवा में सांस ले रहा है.