Himachal Pradesh News: कहते हैं कि पहाड़ की खूबसूरती भी पहाड़ होती है. पहाड़ की समस्या भी पहाड़ होती है और पहाड़ के लोगों का जज्बा भी पहाड़ होता है. पहाड़ के लोगों के इस जज्बे ने विकास का लक्ष्य लेकर अनेक आयाम स्थापित किए हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का विकास आज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा है. विषम परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने कभी हार नहीं मानी.

इंदिरा गांधी ने भी नाटी डालकर मनाया था जश्न


हिमाचल प्रदेश 52 साल का सफर तय कर 53 साल में प्रवेश कर चुका है. 25 जनवरी 1971 को माइनस डिग्री तापमान में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हिमाचल के निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के साथ मालरोड से खुली जीप में रोड शो करते होते हुए रिज मैदान पहुंची. रिज मैदान के टका बेंच से उन्होंने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की. इस बीच प्रकृति भी अपना आशीष बरसा रही थी और आसमान से बर्फ के फाहे गिर रहे थे. हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से शिमला पहुंचे लोगों ने रिज पर नाटी डालकर हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व का जश्न मनाया.

आकाशवाणी पर हुई थी लाइव कमेंट्री


25 जनवरी का यह दिन हिमाचल प्रदेश के साथ देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा रहा था. इस बीच पूर्व आईएएस श्रीनिवास जोशी इस ऐतिहासिक घटना के पल-पल का ब्यौरा आकाशवाणी में लाइव कमेंट्री के माध्यम से दे रहे थे. पहाड़ के लोगों के इस जश्न में खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी शामिल हुई और उन्होंने भी रिज मैदान पर नाटी डाली.

विकास का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा हिमाचल


अपने पांच दशक से ज्यादा के इतिहास में हिमाचल प्रदेश में विकास के लक्ष्य के साथ अनेक आयाम स्थापित किए हैं. हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के वक्त प्रदेश में केवल 228 किलोमीटर पक्की सड़कें थीं. आज हिमाचल प्रदेश में 40 हजार किलोमीटर से ज्यादा पक्की सड़कें हैं. हिमाचल प्रदेश की पहचान देशभर में ऊर्जा और पर्यटन राज्य के रूप में है. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश की गिनती अव्वल स्थान पर होती है. शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन किया. साक्षरता दर में आज देश भर में हिमाचल प्रदेश का दूसरा स्थान है. हिमाचल प्रदेश के लोग आज विश्व पटल पर अपना नाम बना चुके हैं.

पहाड़ी राज्य के सामने अनेक चुनौतियां 


हिमाचल प्रदेश आज भले ही विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा हो, लेकिन प्रदेश के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है. केंद्रीय वित्त पोषण पर चलने वाले हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी भी आम लोगों को खलती रही है. हिमाचल को ऊर्जा और पर्यटन क्षेत्र में जीडीपी बढ़ाना है. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश में युवाओं को सरकारी नौकरी के अलावा स्टार्टअप के जरिए रोजगार में बढ़ोतरी करने की भी चुनौती है. पहाड़ी राज्य हर चुनौती को पार कर आगे बढ़ा है. ऐसे में यह तय है कि इन चुनौतियों को पार कर हिमाचल इसी तरह विकास की राह पर अग्रसर होगा.