Himachal Pradesh News: एक मां की नम आंखें दरवाजे की ओर टकटकी लगाए अपने बेटे का इंतजार कर रही हैं. जो बेटा छुट्टियों पर अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता था, उसका तिरंगे में लिपट कर आने का इंतजार किया जा रहा है. इस खबर से मां का रो-रो कर बुरा हाल है, हर कोई मां भारती के वीर सपूत के आखिरी दर्शन करने के लिए आतुर है. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में शहीद हुए हमीरपुर के अमित शर्मा का पार्थिव शरीर अब तक पैतृक गांव नहीं पहुंच सका है. जम्मू कश्मीर में मौसम खराब होने की वजह से पार्थिव शरीर को एयरलिफ्ट करने में परेशानी आ रही है.


शहीद अमित शर्मा का पार्थिव शरीर जम्मू कश्मीर से चंडीगढ़ हवाई मार्ग और चंडीगढ़ से हमीरपुर तक सड़क मार्ग के जरिए पहुंचना है. मौसम खराब होने की वजह से पार्थिव शरीर का गांव तलासी खुर्द पहुंचना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. जानकारी के मुताबिक आज भी पार्थिव शरीर का हिमाचल पहुंचना संभव नहीं है. आज से छह महीने पहले परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था. साल 2019 में बेटे के सेना में भर्ती होने के बाद घर परिवार भी बेहद खुश था, लेकिन छह महीने में परिवार के एक के बाद एक तीन लोगों की मौत होने की वजह से खुशियां मातम में तबदील हो गई हैं. शहीद अमित शर्मा की उम्र सिर्फ 23 साल थी.


ऊना के हवलदार अमरीक सिंह भी हुए हैं शहीद
मंगलवार देर रात जब डोगरा रेजीमेंट के जवान गश्त पर थे उस समय गाड़ी फिसल कर खाई में जा गिरी. इसमें भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए. शहीद जवानों में दो हिमाचल प्रदेश के ही रहने वाले हैं. हमीरपुर के शहीद अमित शर्मा के अलावा ऊना के शहीद बेटे अमरीक सिंह का भी घर परिवार के लोग इंतजार कर रहे हैं. ऊना के रहने वाले हवलदार अमरीक सिंह ने साल 2001 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. मौसम खराब होने की वजह से शहीदों का शव अब तक बेस कैंप पर नहीं पहुंच सका है.



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