Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में कम उम्र की महिलाओं में रसौली की समस्या पेश आ रही है. प्रदेश के महिला और शिशु रोग अस्पताल में इस साल अब तक 78 के करीब मामले आ चुके हैं. इनमें 16 साल से लेकर 50 साल तक की उम्र की महिलाएं शामिल हैं. कमला नेहरू हॉस्पिटल शिमला (Kamla Nehru Hospital Shimla) के प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में एचओडी डॉ. बिशन धीमान के मुताबिक, हॉस्पिटल में हर उम्र की महिलाओं में रसौली पाई जा रही है, लेकिन अब 30 से कम उम्र की महिलाओं को भी रसौली की समस्या हो रही है. इससे पहले 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में ही रसौली होती थी.


रसौली दो तरह की होती है- कैंसर और बगैर कैंसर. 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में रसौली में कैंसर होने की कम संभावना होती है, जबकि 40 से 45 साल की महिलाओं में रसौली से कैंसर की संभावना ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि यह दवाई या ऑपरेशन से निकाली जाती है और इसका इलाज नि:शुल्क है.


क्या होती है रसौली?


रसौली गर्भाशय की दीवार में उत्पन्न होने वाली असामान्य गांठ होती है. यह कई महिलाओं में पाई जाती है. अगर इसका आकार छोटा होगा, तो इससे दर्द नहीं होता. यह तब होती है, जब गर्भाशय की मांसपेशियां अत्यधिक बढ़ोतरी करती हैं.


रसौली के प्रकार 


1. बेनाइग्न ट्यूमर्स
● म्योमा - यह सबसे आम तरह की रसौली होती है, जो गर्भाशय की मांसपेशियों में उत्पन्न होती है. इसे फाइब्रॉएड्स भी कहा जाता है.


● सिस्टस- यह ओवेरियन सिस्टस के रूप में जानी जाती है और यह अंडाशय में पाई जाती है.


● पोलिप्स- यह गर्भाशय की अंदरुनी परत पर उत्पन्न होती है और यह छोटे आकार की होती है.


2. मैलिंग्नेंट ट्यूमर्स- जब रसौली कैंसर के रूप में विकसित होती है, तो इसे मैलिंग्नेंट रसौली कहा जाता है. यह अधिक घातक होती है और त्वरित इलाज की जरूरत होती है.


3. बॉर्डरलाइन रसौली- यह रसौली अच्छी और बुरी प्रकृति के बीच में होती है. इनमें कैंसर की संभावना होती है, लेकिन वह सामान्यत: बेनाइग्न होते हैं.


रसौली के कारण 


● एस्ट्रोजन हार्मोन की ज्यादा मात्रा 
● जेनेटिक कारण 
● गर्भनिरोधक गोलियों का ज्यादा सेवन 
● मोटापा 
● खाना-पीना सही न होना
● पानी कम पीना 
● पीरियड्स सही न आना 


रसौली होने के लक्षण 


● पेट के नीचे के हिस्से में भारीपन और दर्द 
● पीरियड्स में ज्यादा खून आना 
● अनियमित पीरियड्स 
● कमजोरी महसूस होना 
● पेशाब रुक-रुक कर आना 
● अचानक वजन बढ़ना 
● पाचन सम्बन्धित समस्याएं 
● एनीमिया 


कैसे करें रसौली से बचाव?


डॉ. बिशन धीमान का कहना है कि इससे बचाव बेहद जरूरी है. रसौली के लक्षण दिखने पर तुरन्त ही अस्पताल में आकर चेकअप करवाएं. अगर इसका समय पर पता चलेगा, तो दवाइयों से भी इसे खत्म किया जा सकता है. अगर रसौली का आकार बड़ा होगा, तो ऑपरेशन से ही निकाला जा सकता है, जिनका ऑपरेशन हो जाता है, उन्हें भी अपने खानपान का खास ख्याल रखने की जरूरत है. रसौली का ऑपरेशन होने के बाद मरीज को हल्का और पौष्टिक खाना खाने और एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. ऑपरेशन के बाद मरीज को समय पर दोबारा चेकअप करने के लिए भी कहा जाता है.


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