Himachal Rains: …तो इस कारण आई हिमाचल में ‘जल प्रलय’? विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पोस्ट में किया बड़ा खुलासा
हिमाचल में प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हो चुका है. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने लिखा है कि सभी को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है. पर्यावरण के साथ अनियंत्रित छेड़छाड़ इसका बड़ा कारण है.
Himachal Cloudburst: हिमाचल प्रदेश में बारिश जमकर तबाही मचा रही है. प्रदेश भर में हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. प्रदेश में न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों की जान भी जा रही है. प्रदेश भर में हालात ऐसे हैं कि हर पल लोगों को जान जाने का खतरा सता रहा है. असुरक्षा के इस माहौल में हर कोई अब यह विचार करने में लगा है कि आखिर इस प्राकृतिक आपदा की वजह क्या है?
विक्रमादित्य सिंह ने क्या कहा?
इस बीच हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का सोशल मीडिया पर बयान सामने आया है. विक्रमादित्य सिंह ने लिखा कि हम सब को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है. कहीं न कहीं पर्यावरण के साथ अनियंत्रित छेड़छाड़ इसका एक बड़ा कारण है. समय आ गया है कि अब हमें सख्त और कड़वे कदम लेने की आवश्यकता है. तब ही हम प्रदेश को सुरक्षित रख सकते हैं.
'नियमों को किया जा रहा दरकिनार'
इससे पहले मंगलवार को पांवटा साहिब में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान इलीगल माइनिंग का बयान दोहराया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वे जो कहते हैं, उस पर अडिग रहते हैं. उन्होंने प्रदेशभर के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया है. उन्होंने प्रभावित लोगों से मुलाकात की. इसी आधार पर उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में हो रही इलीगल माइनिंग की वजह से यह आपदा हो रही है. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बात चाहे नेशनल हाईवे निर्माण के मलबे की हो या फिर अन्य डंपिंग की, नदियों और पहाड़ों में की जा रही इलीगल डंपिंग भी आपदा की एक बड़ी वजह है. इलीगल डंपिंग और इलीगल माइनिंग को बंद करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की बात पर जोर दिया है.
चार दिन में 157 फ़ीसदी ज्यादा बारिश दर्ज
हिमाचल प्रदेश में 11 अगस्त से 14 अगस्त तक 157 फ़ीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई. इस बारिश ने प्रदेश भर में जमकर तबाही मचाई. शिमला के साथ मंडी और कुल्लू में भारी तबाही हुई है. इस तबाही की वजह से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. प्रदेश में 60 से ज्यादा लोग अपनी जान गवा चुके हैं. राजधानी शिमला में ही बीते तीन दिन में 19 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा शिमला के समरहिल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. यहां भी मलबे के नीचे करीब 10 और लोगों के फंसे होने की संभावना है.