Himachal Pradesh School: देश के साथ प्रदेश के लोग भी एक अलग तरह की मानसिकता से ग्रस्त हैं. लोगों को नौकरी तो सरकारी चाहिए, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ना नहीं चाहते. ज्यादातर परिवारों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में ही अपनी पढ़ाई करते हैं. इसके पीछे की एक बड़ी वजह सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर भी है.


साल 2002-2003 में हिमाचल प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में जहां विद्यार्थियों की संख्या 1 लाख 30 हजार 466 थी. अब साल 2023-24 में ये संख्या घटकर 49 हजार 295 हो गई है. मौजूदा वक्त में प्रदेश में 89 प्राथमिक स्कूलों और 10 माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या शून्य है.


701 प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की संख्या केवल पांच


राज्य के 701 प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की संख्या मात्र पांच है और इनमें से 287 स्कूल दूसरे स्कूल से दो किलोमीटर के दायरे में हैं. इसके अलावा 109 अतिरिक्त स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है. 46 मिडिल स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में हैं. 18 अन्य स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है. ये जानकारी राज्य सचिवालय में शिक्षा विभाग के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की बैठक के बाद सामने आई है.


क्वॉलिटी एजुकेशन देना सरकार का लक्ष्य- CM सुक्खू


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इन हालातों के मद्देनजर स्कूलों के कामकाज को तर्कसंगत बनाना जरूरी है. उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थियों की कम संख्या वाले स्कूलों को विलय करने की संभावनाएं तलाश की जाएं.


सीएम ने कहा कि स्कूलों को विलय करने के कदम से पर्याप्त स्टाफ भी उपलब्ध होगा और क्वॉलिटी एजुकेशन भी दी जा सकेगी. सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित कर रही है. इससे विद्यार्थियों को क्वॉलिटी एजुकेशन के साथ उनका समग्र विकास होगा.


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