Himachal Pradesh Employees News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जैसे ही मुख्यमंत्री एक परेशानी से पार पाते हैं, अगली परेशानी उनका इंतजार कर रही नजर आती है. अब हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारी लंबित डीए और एरियर देने की मांग उठा रहे हैं.


कर्मचारियों को उम्मीद थी कि 15 अगस्त को देहरा में हुए राज्यस्तरीय समारोह से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कर्मचारियों के लिए बड़ी घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने सिर्फ 75 साल की उम्र पूरी कर चुके रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए एरियर की घोषणा की. ऐसे में कर्मचारियों के बीच खासा रोष है. 


हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा, "मुख्यमंत्री से बड़ी उम्मीद थी. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कोई घोषणा नहीं की. मंत्रियों के कमरे बनाने और अन्य खर्चों के लिए खूब पैसा है. कर्मचारियों के लंबित डीए और एरियर भुगतान की बात आने पर सरकार खराब वित्तीय हालात की दुहाई देने लगती है."






सचिवालय कर्मचारी महासंघ से खोला मोर्चा 


संजीव शर्मा ने कहा कि राज्य सचिवालय की नई बिल्डिंग में दो मंत्रियों को शिफ्ट किया गया. दोनों मंत्रियों के कमरे पर 50-50 लाख रुपये का खर्च हो रहा है. यही नहीं, मुख्यमंत्री के नए कमरे के लिए भी 19 करोड़ से ज्यादा की राशि को मंजूरी मिल चुकी है. उन्होंने कहा कि जब इस तरह के खर्च के लिए सरकार के पास पैसे हैं, तो कर्मचारियों को उनका अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा. संजीव शर्मा ने कहा कि कर्मचारी कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं बल्कि राज्य सरकार से अपना हक मांग रहे हैं.


मुख्यमंत्री को 22 अगस्त तक का दिया समय


राज्य सचिवालय कर्मचारी सेवाएं महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों के जनरल हाउस के बाद जिस तरह कर्मचारियों में रोष देखने को मिला है, उसके बाद सरकार की कुर्सी की पेच ढीले होने लग गए हैं. उन्होंने कहा कि अब 23 अगस्त को एक बार फिर जनरल हाउस बुलाया गया है. कर्मचारी वार्ता की मेज पर बुलाने के लिए सरकार को 22 अगस्त का वक्त दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया, तो कर्मचारी मास कैजुअल लीव पर चले जाएंगे. ऐसे में राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को कोई पानी पिलाने वाला कर्मचारी भी नज़र नहीं आएगा. यह पहली बार है, जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों ने मोर्चा खोला है. ऐसे में अब राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के बीच कर्मचारियों की मांग को पूरा करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है.


BJP ने राज्य पर छोड़ी देनदारियां-CM सुक्खू 


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार को पिछली बीजेपी सरकार से 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज़ और 10 हजार करोड़ रुपये की बकाया देनदारियां विरासत में मिली. इसके बावजूद 20 महीने के अपने कार्यकाल में राज्य सरकार ने कर्मचारियों को सात प्रतिशत महंगाई भत्ता प्रदान किया है. इस वित्त वर्ष में 75 साल से ज्यादा उम्र के 28 हजार पेंशन भोगियों को एरियर का भुगतान किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारी मेरे परिजनों के समान हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अभी छह महीने का और समय लगेगा. अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के बाद एरियर और मंहगाई भत्ते दिए जाएंगे.


सैलरी-पेंशन पर 42 फीसदी बजट होगा खर्च  


बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सैलरी और पेंशन पर 42 फीसदी बजट खर्च हो रहा है. राज्य में कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए सिर्फ 28 फीसदी ही बजट बच जाता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि इस वित्त वर्ष में हर 100 रुपये में से वेतन पर 25 रुपये, पेंशन पर 17 रुपये, ब्याज पर 11 रुपये, कर्ज अदायगी पर नौ रुपये, स्वायत्त संस्थानों की ग्रांट पर 10 रुपये और बचे हुए 28 रुपये पूंजीगत व्यय के साथ अन्य गतिविधियों पर खर्च किए जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश को मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान भी कम हुआ है. वित्त वर्ष 2021-22 में अनुदान के रूप में राज्य सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये मिलते थे, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में अनुदान घटकर तीन हजार करोड़ रुपये रह जाएगा. 


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