Shimla Municipal Corporation News: पहाड़ों की रानी शिमला ऐतिहासिक कहानियों का शहर है. शिमला में जहां कदम रख दिया जाए, वहां कहानी खुद-ब-खुद बोल पड़ती है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला की नगर निगम में साल 1870 से लेकर मौजूदा वक्त तक जन्म और मृत्यु का डाटा मौजूद है. नगर निगम शिमला ने 154 साल पुराने रजिस्टर को संभाल कर रखा हुआ है. हर रजिस्टर में करीब 1 हजार 400 लोगों का डाटा मौजूद है.


ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेजों का डाटा अंग्रेजी भाषा में जबकि भारतीयों का डाटा उर्दू भाषा में दर्ज किया जाता था. खास बात है कि आज भी इन रजिस्टर को सही सलामत रखा गया है. हजारों किलोमीटर दूर इंग्लैंड से आज भी ब्रिटिशर्स अपने पूर्वजों का जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए यहां पहुंचते हैं. मौजूदा वक्त में एक एप्लीकेशन के साथ प्रूफ अटैच करने पर पूर्वजों का रिकॉर्ड आसानी से मिल जाता है.


जल्द ही डिजिटाइज हो जाएगा सारा रिकॉर्ड
नगर निगम शिमला अब जन्म और मृत्यु के इन प्रमाण पत्रों को डिजिटाइज कर रहा है. जल्द ही सभी सारा डाटा एक क्लिक पर ही उपलब्ध हो जाएगा. नगर निगम शिमला ने साल 2000 से लेकर साल 2010 तक का डाटा डिजिटाइज कर दिया है. पुराने रिकॉर्ड को भी जल्द ही ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा. फिलहाल नगर निगम शिमला किसी उर्दू भाषा के ऐसे जानकार को ढूंढ रहा है, जो उर्दू में लिखे नाम को ट्रांसलेट कर ऑनलाइन अपलोड करने में मदद कर सके. नगर निगम शिमला चार हजार रजिस्टरों में मौजूद इस डाटा को ऑनलाइन अपलोड करेगा. फिर विदेश से भी लोग अपने पूर्वजों का जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र सिर्फ एक क्लिक पर ही हासिल कर सकेंगे. इससे स्थानीय लोगों को भी खास फायदा होगा.


25 रजिस्टर में उर्दू में दर्ज है डाटा
नगर निगम शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि यह नगर निगम ऐतिहासिक है. यहां साल 1870 से लेकर मौजूदा वक्त तक का जन्म और मृत्यु का डाटा मौजूद है. नगर निगम के पास चार हजार ऐसे रजिस्टर हैं, जिसमें लोगों का जन्म और मृत्यु का डाटा रखा गया है. नगर निगम शिमला के पास ऐसे भी 25 रजिस्टर हैं, जिसमें रिकॉर्ड उर्दू में लिखा गया है. इन्हें भी ट्रांसलेट कर अंग्रेजी और हिंदी में अपलोड किया जाना है. मेयर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि इससे विदेश के लोगों के साथ स्थानीय लोगों का काम बेहद आसान हो जाएगा.


इंग्लैंड से शिमला यादें लेने आते हैं विदेशी
साल 2023 में इंग्लैंड से एक दंपत्ति अपने दादा और पिता का रिकॉर्ड ढूंढने के लिए शिमला पहुंचे थे. इंग्लैंड से रिकॉर्ड लेने के लिए पहुंचे साइमन और सेली ने नगर निगम शिमला पहुंचकर अपने दादा और पिता का रिकॉर्ड हासिल किया. साथ ही वह शिमला के संजौली इलाके की कब्रगाह में भी गए, जहां उनके दादा को दफनाया गया था. अपने दादा की यादें लेने खास तौर पर इंग्लैंड से शिमला तक का सफर करने वाले साइमन बीट के पिता के बड़े अंकल यानी ताऊ विलियम लिटरस्टर नगर निगम शिमला में ही शासक के पद पर तैनात थे. उनका निधन 27 नवंबर, 1930 को हुआ था. इसके बाद उन्हें संजौली की कब्रगाह में दफनाया गया था. वहीं, साइमन के पिता सीरियल बीट का जन्म 2 जुलाई, 1916 को शिमला में हुआ और वे यहां रजिस्टर के पद पर तैनात रहे. इंग्लैंड से पहुंचे साइमन और सेली अपने दादा का मृत्यु प्रमाण पत्र और पिता का जन्म प्रमाण पत्र अपने साथ लेकर वापस लौटे.


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