16th Finance Commission Delegation in Himachal: 16वें वित्त आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचा है. वित्त आयोग की टीम ने 28 राज्यों के दौरा करना है और इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश से की गई है. 


16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में यह टीम यहां पहुंची है. अपने विकास के लिए हर तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर हिमाचल प्रदेश में वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के सामने अहम प्रेजेंटेशन देकर उदार मदद की मांग रखी है.


वित्त आयोग के सामने उदार मदद की मांग
हिमाचल प्रदेश में कमाई के साधन नाम मात्र के हैं. यहां विकास के लिए खर्च पर भी अधिक धन खर्च करना पड़ता है. ऐसे में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के सामने हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने उदार वित्तीय मदद देने की मांग रखी है. वित्त आयोग की यह सिफारिश साल 2026 से लेकर साल 2031 तक के लिए लागू होगी.


पलायन को रोकने पर सरकार का ध्यान
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिगत प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने पर बल दिया, ताकि इन क्षेत्रों से स्थानीय लोगों का पलायन रोका जा सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है. इसके चलते हिमाचल को आपदा पूर्व प्रबन्धन एवं राहत कार्यों की दृष्टि से विशेष प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए.


आपदा जोखिम सूचकांक किया जाए तैयार
हिमाचल सहित अन्य हिमालयी क्षेत्र के राज्यों में आपदाओं की ज्यादा संभावना होने के कारण इन क्षेत्रों के लिए आपदा जोखिम सूचकांक तैयार किया जाना चाहिए. उन्होंने आयोग को बताया कि पिछले साल बरसात में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान के एवज में केंद्र सरकार ने 9 हजार 042 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं किया है.


हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का रखें ध्यान- CM सुक्खू 
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16वें वित्तायोग से राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य के विकास के लिए उदारवादी वित्तीय सहायता देने की सिफारिश करने का आग्रह किया. इससे पहले 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने अपने संवाद में राज्य की उपलब्धियों विशेषकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे अथक प्रयासों की सराहना की.


हरित ऊर्जा राज्य बनने की ओर अग्रसर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अनावश्यक संस्थानों को बंद करने जैसे बड़े कदम उठाए हैं. इसके अलावा प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. प्रदेश सरकार राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कृषि, पशुपालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों को अधिमान दे रही है.


वन कटान पर रोक का मुआवजा देने की मांग
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हिमालयी क्षेत्र में हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है. इसकी वजह से राज्य को हजारों करोड़ का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रदेश को अब तक इस नुकसान के लिए भी मुआवजा नहीं मिला है. राष्ट्र हित को देखते हुए हिमाचल ने पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है. इसकी वजह से हिमाचल को हजारों करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है. राज्य को वन मंजूरी अधिनियम के तहत वर्ष 2017 से कोई अनुमति नहीं मिली है.


हिमाचल प्रदेश को मिले वित्तीय मदद
सीमावर्ती क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के साथ ही हिमाचल प्रदेश का राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान है. हिमाचल प्रदेश ने भाखड़ा बांध और पौंग बांध के लिए लाखों एकड़ जमीन दी है. हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान प्रदेश को सिंचाई के लिए पानी दे रहा है. इसी तरह विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति भी सुनिश्चित की है. इसके लिए राज्य को कोई भी वित्तीय  मदद नहीं मिली है और प्रदेश सरकार को शानन पन-विद्युत परियोजना की पट्टा अवधि पूरी होने के बाद भी मालिकाना हक नहीं मिला है.


मुख्यमंत्री ने 16वें वित्तायोग से राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य के विकास के लिए उदारवादी वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश करने का आग्रह किया है.


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