Snowfall in Himachal Pradesh: लंबे वक्त से हिमालय का एक बड़ा हिस्सा बर्फबारी का इंतजार कर रहा है. कई इलाकों में तो बर्फबारी गुजरे वक्त की बात सी हो गई है. इस बीच लाहौल घाटी के आराध्य देवता राजा घेपन और देवी बोटी 12 हफ्ते बाद देवालय वापस लौट आए हैं. लाहौल स्पीति के लोगों को अब घाटी में अच्छी बर्फबारी की उम्मीद है. दरअसल, इसके पीछे लोगों की एक खास मान्यता छिपी हुई है.
फिर बंधी अच्छी बर्फबारी की उम्मीद
राजा घेपन हर तीन साल में लाहौल घाटी की परिक्रमा के लिए जाते हैं. कहा जाता है कि जब तक वह देवालय से बाहर रहते हैं, तब तक बर्फबारी नहीं होती. अब चूंकि राजा घेपन वापस अपने स्थान पर लौट आए हैं. तो ऐसे में बर्फबारी की उम्मीद भी दोबारा बंध चुकी है. पिछले साल 20 अक्टूबर को राजा घेपन और देवी बोटी लाहौल घाटी की परिक्रमा पर निकले थे. राजा घेपन ने लाहौल घाटी में देवी देवताओं से मुलाकात की. इस दौरान 100 से ज्यादा श्रद्धालु लगातार उनके साथ चलते रहे. 83 दिनों के बाद राजा घेपन वापस देवालय लौटे. उनके वापस लौटने के बाद लाहौल घाटी के साथ जिला कुल्लू के लोगों को भी बर्फबारी की उम्मीद है.
राजा घेपन के बाहर रहने पर साफ रहता है मौसम!
लाहौल घाटी के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि राजा घेपन जब तक देवालय से बाहर रहते हैं, तब तक मौसम पूरी तरह साफ रहता है. उनके देवालय लौटने के बाद ही बर्फबारी होती है. अब तक अच्छी बर्फबारी न होने की वजह से स्थानीय लोग खासे परेशान हैं. ऐसे में अब उनकी उम्मीद भगवान पर ही बंधी हुई है. राजा घेपन इस इलाके के लोगों के आराध्य हैं और यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. राजा घेपन हर तीन साल बाद लाहौल घाटी में परिक्रमा कर लोगों को आशीर्वाद देते हैं. राजा घेपन देवालय लौट आए हैं. उम्मीद है कि पहले की तरह बर्फबारी की खो रही प्रवृति भी लौटेगी.
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