Himachal Congress CM Face: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Election) के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. 8 दिसंबर को आने वाले नतीजों का सभी को इंतजार है, लेकिन कांग्रेस (Congress) के नेता इंतजार करने के मूड में नहीं हैं. बहुमत मिलने से पहले ही हिमाचल कांग्रेस के कद्दावर नेता दिल्ली (Delhi) में डेरा डाले हुए हैं. बड़े-बड़े नेता केंद्रीय नेताओं के साथ मुलाकात कर संबंध मधुर करने में जुटे हैं.

 

दिल्ली डटे नेताओं में हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर शामिल हैं. इसके अलावा कई अन्य कांग्रेस प्रत्याशी भी दिल्ली डेरा डाले हुए हैं. मंगलवार को हिमाचल कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का फीडबैक अध्यक्ष के सामने रखा.

 


 

दो तिहाई बहुमत लाने का दावा कर रही है कांग्रेस

नेता अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से रिपोर्ट एकत्रित कर आलाकमान को दे रहे हैं, लेकिन इस बीच चर्चा यह भी है कि यह मुलाकात सिर्फ फीडबैक देने तक ही सीमित नहीं है. प्रदेश के यह नेता आलाकमान के साथ मुलाकात कर मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भी गोटियां फिट करने में जुटे हुए हैं. हिमाचल कांग्रेस लगातार दो तिहाई बहुमत लाने का दावा कर रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के आला नेता मुख्यमंत्री के लिए लॉबिंग करते नजर आ रहे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से उनकी बारात का दूल्हा पूछने वाली कांग्रेस पार्टी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने की हिम्मत नहीं दिखा सकी. इसकी वजह कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं के बीच की गुटबाजी को माना गया. 

 

कांग्रेस ने चुनाव में घोषित नहीं किया था सीएम का चेहरा

हिमाचल कांग्रेस में कद्दावर नेताओं की ज्यादा संख्या होना भी इसकी एक बड़ी वजह रही. वीरभद्र सिंह के बिना हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए एक चुनौती था. अब भी कांग्रेस की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं. पहली चुनौती कांग्रेस के सामने बहुमत लाना और फिर मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने के साथ बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देना भी रहने वाला है. बहुमत हासिल करने से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए इतने बड़े स्तर की लॉबिंग भी हिमाचल प्रदेश के इतिहास में अपने आप में पहली बार है.