Himachal Pradesh Horse-Trading: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Election) के नतीजे 8 दिसंबर को आने हैं. जनता का सरकार बनाने के लिए दिया गया जनादेश अभी ईवीएम (EVM) में कैद है, लेकिन इससे पहले ही हिमाचल प्रदेश में खरीद-फरोख्त की चर्चा जोरों पर हैं. आम लोगों के बीच चर्चा है कि बहुमत भले ही कोई भी हासिल करें, लेकिन सरकार बीजेपी (BJP) ही बनाएगी. दरअसल जनता के बीच यह चर्चा और किसी ने नहीं, बल्कि खुद कांग्रेस (Congress) और भाजपा के ही कुछ नेताओं ने ही शुरू की है.

 

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी अनिरुद्ध सिंह ने इन चर्चाओं पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ काम कर रही है. अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि बीजेपी नेता जगह-जगह सरकार बनाने के दावे करते हैं. बीजेपी के नेता यह कहते सुनाई देते हैं कि भले ही बहुमत कांग्रेस को मिले, लेकिन सरकार उनकी ही बनेगी. अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद भी कई मंचों पर ऐसी बात करते सुने गए. कांग्रेस नेता अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया है कि बीजेपी गलत तरीके से काम कर लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है.

 


 

कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद- रणधीर शर्मा

कांग्रेस के इन आरोपों पर हिमाचल बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने पलटवार किया है. रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस अपनी हार को देखकर बौखलाहट में है और ऐसे में बेबुनियाद बयानबाजी कर रही है. रणधीर शर्मा ने कहा कि बीजेपी ने न तो कभी हॉर्स ट्रेडिंग की है और न ही करेगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में तो इस तरह की कोई जरूरत पड़ेगी ही नहीं, क्योंकि जनता बीजेपी को स्पष्ट बहुमत देने जा रही है. रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तरह की बयानबाजी कर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस पार्टी के इस आरोपों में न तो कोई सच्चाई है और न ही कोई आधार.

 

'खरीद-फरोख्त की राजनीति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ'

विश्व भर में भारत की पहचान सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन किया जाए. जानकार मानते हैं कि खरीद-फरोख्त की राजनीति न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है, बल्कि यह लोगों के साथ भी सरासर खिलवाड़ है. मतदान कर अपनी पसंद के प्रत्याशी और सरकार को चुनना आम जनता का अधिकार है. ऐसे में राजनीतिक दलों को भी जनादेश का सम्मान करना चाहिए.