Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वर्ष 2022-23 के लिए प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. इसके मुताबिक प्रदेश की आर्थिक विकास दर 6.3 फ़ीसदी रहने का अनुमान है. हिमाचल में कर्मचारी वर्ग बेहद विशाल है. ऐसे में प्रदेश के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 40% से अधिक का खर्च कर्मचारियों के वेतन और भत्ते में जाता है.


1 हजार 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लोन 


दूसरी तरफ प्रदेश में आय के स्त्रोत कम है. ऐसे में प्रदेश की गाड़ी कर्ज के इंजन के सहारे चल रही है. इसे लेकर मुख्यमंत्री भी कई मर्तबा चिंता व्यक्त कर चुके हैं. वहीं, इन सबके बीच अगला वित वर्ष शुरू होने से पहले यह सरकार 1 हजार 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लोन लेने की पूरी तैयारी कर चुकी है. प्रदेश वित्त विभाग में इस मामले में बुधवार देर शाम नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है. बताया जा रहा है कि इस लोन का इस्तेमाल प्रदेश के कर्मचारियों की लंबित डीए की किश्तों और एरियर में खर्च किया जाएगा.


23 मार्च तक लोन क्लियर होने की संभावना


दरअसल, प्रदेश सरकार 1 हजार 500 करोड़ रुपए के दो अलग-अलग लोन लेने जा रही है. इसे एक किस्त 900 करोड़ रुपए की होगी, जो प्रदेश सरकार 10 साल के समय के के लिए लेगी. इसके अलावा प्रदेश सरकार 600 करोड़ रुपए की दूसरी किस्त 8 वर्ष की अवधि के लिए लेने जा रही है. 21 मार्च को मुंबई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लोन के लिए ऑक्शन करेगा जिसके बाद 23 मार्च को लोन क्लियर होने की संभावना है. प्रदेश सरकार इससे पहले भी 700 करोड़ के लोन की किस्त लेने के लिए अप्लाई कर चुकी है, लेकिन उस वक्त ब्याज की दरें अधिक होने के चलते 700 करोड़ को इस लोन को ड्रॉप कर दिया गया था.


शीतकालीन सत्र में बढ़ाई गई है लोन लिमिट


प्रदेश पर मौजूदा समय में करीब 75 हज़ार करोड़ का कर्ज़ है. बजट सत्र से पहले धर्मशाला में हुए शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदेश सरकार ने लोन लिमिट को बढ़ा दिया था. शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदेश सरकार ने एफआरबीएम विधेयक लाकर प्रदेश में लोन लेने की लिमिट को छह फ़ीसदी तक बढ़ा दिया था. अब इसके अंदर प्रदेश सरकार मार्च के आखिरी हफ्ते तक फिर लोन ले सकती है.


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