HP Mushroom Farming: हिमाचल में मशरूम बेचकर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, एक साल में 12 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मशरूम (Mushroom Farming) बेचकर सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं. 65 स्वयं सहायता समूहों ने एक साल में 12 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई की है.
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Himachal Pradesh News: पहाड़ की महिलाएं किसी से कम नहीं हैं. पहाड़ की मुश्किलों की तरह ही पहाड़ की महिलाओं का जज्बा भी पहाड़ की तरह ही है. हिमाचल प्रदेश (HP Mushroom Farming) में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने मशरूम बेचकर एक साल में ही 12 लाख रुपए की कमाई की है. प्रदेश में जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी के सहयोग से महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि सशक्तिकरण की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं.
एक साल में 12 लाख से ज्यादा की कमाई
हिमाचल प्रदेश में 65 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने एक साल में ही 12 लाख से ज्यादा की कमाई की है. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड भी है. हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना प्रदेश के 18 वन मंडलों के 32 फॉरेस्ट रेंज में मशरूम की खेती करवा रहा है. इससे प्रदेश के 65 स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए हैं. इन स्वयं सहायता समूहों से हर मौसम में मशरूम की खेती करवाई जाती है. इससे महिलाएं जमकर कमाई भी कर रही हैं. हिमाचल में बटन मशरूम, शिटाके मशरूम और ढींगरी मशरूम उगाया जा रहा है. इससे न केवल महिलाएं बल्कि पुरुष भी आजीविका कमा रहे हैं.
180 रुपए किलो हैं मशरूम के दाम
शिमला के कंडा में स्वयं सहायता समूह को उनके गांव में विशेषज्ञों ने मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. इसके बाद एक कमरा किराए में लिया गया. इसी कमरे में मशरूम उत्पादन शुरू हुआ. किराए के कमरे में ही 10 किलोग्राम के 245 बीज वाले कंपोस्ट बैग के साथ यह काम शुरू किया गया. इसके बाद 25 दिनों के बाद में ही बटन मशरूम का उत्पादन शुरू भी हो गया. एक हफ्ते में इस ग्रुप में 200 किलो मशरूम तैयार कर लिया. बाजार में इस मशरूम की कीमत 150 रुपए प्रति किलो से लेकर 180 रुपए प्रति प्रति किलो तक है.
क्या कहते हैं अधिकारी?
जिला मंडी के सुंदरनगर के वन मंडल सुकेत में 19 स्वयं सहायता समूह मशरूम की खेती कर रहे हैं. एक साल में यहां महिलाएं आठ लाख रुपए की कमाई कर चुकी हैं. जाइका की ओर से मशरूम की ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग स्थान पर कृषि विज्ञान केंद्र की सेवा भी ली जा रही है. खास बात यह है कि प्रदेश भर के कुल 65 स्वयं सहायता समूह में से 59 ऐसे ग्रुप हैं, जो पहली बार मशरूम की खेती कर रहे हैं. इनमें 45 महिला ग्रुप हैं, जबकि 12 ग्रुप ऐसे हैं जिनमें महिलाओं के साथ पुरुष भी काम कर रहे हैं.
महिलाओं की आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार- गुलेरिया
इस प्रोजेक्ट के सफलता के बारे में जानकारी देते हुए अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल नागेश कुमार गुलेरिया ने बताया कि जाइका प्रोजेक्ट के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की महिलाएं अपनी आर्थिक सुधार में लगी हुई हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को बटन मशरूम, शिटाके मशरूम और ढींगरी मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई कर रही हैं. प्रदेश में हर मौसम के मुताबिक तैयार होने वाले मशरूम की खेती के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है. आने वाले वक्त में इस गतिविधि को और भी ज्यादा बढ़ावा दिया जाएगा.
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