HP News: हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, शिमला टाउन हॉल में फूडकोर्ट संचालन पर लगाई रोक
Himachal High Court: हिमाचल हाई कोर्ट ने शिमला टाउन हॉल में फूड कोर्ट संचालन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने विरासत को सुरक्षित करने के लिए कहा है. मामले के लिए सनी 14 मार्च को होगी.
Himachal News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने शिमला टाउन हॉल में फूड कोर्ट के संचालक पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह अहम फैसला सुनाया है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने फूड कोर्ट संचालक देवयानी इंटरनेशनल कंपनी को अगली सुनवाई तक टाउन हॉल में फूड कोर्ट का संचालन न करने के लिए कहा है.
कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा?
खंडपीठ ने कहा कि टाउन हॉल शिमला की प्रतिष्ठित स्थल है. इसे हाल ही में एशियाई विकास बैंक के सहयोग से भारी खर्च कर दोबारा तैयार किया गया है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा की विरासत स्थल हमेशा अनमोल होते हैं. प्राचीन युग की साक्षी रही हेरिटेज बिल्डिंग एक खजाना है, इसलिए इसे सार्वजनिक ट्रस्ट माना जा सकता है.
नगर निगम आयुक्त को तत्काल आदेश पालन के निर्देश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि फूड कोर्ट चलने से बिल्डिंग को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम शिमला की कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि कोर्ट के इन आदेशों की पालना तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित की जाए. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय के माध्यम से राज्य विरासत सलाहकार समिति को इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के भी आदेश दिए हैं. इसकी एक रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को अगली सुनवाई के वक्त सौंपनी होगी. इस मामले में अगली सुनवाई 14 मार्च को होनी है.
अधिवक्ता अभिमन्यु राठौर ने दायर की थी जनहित याचिका
बता दें कि हाई कोर्ट ने अधिवक्ता अभिमन्यु राठौर की ओर से दायर जनहित याचिका में अंतरिम राहत से जुड़े आवेदन का निपटारा करते हुए फूड कोर्ट के संचालक को रोकने के आदेश पारित किए हैं. अधिवक्ता अभिमन्यु राठौर की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाए गए थे कि विरासत संपत्ति को हाई एंड कैफे में बदलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इसमें फूड कोर्ट चलने से बिल्डिंग को भारी नुकसान पहुंच रहा है.
याचिका में मानदंडों के उल्लंघन के आरोप
कोर्ट ने कभी भी इस बिल्डिंग में फूड कोर्ट जैसी गतिविधियां चलाने की अनुमति नहीं दी. यहां हाई एंड कैफे चलाने की बात हुई थी, न कि फूड कोर्ट संचालन की. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि निजी संचालक हेरिटेज बिल्डिंग में हाई एंड कैफे के स्थान पर फूड कोर्ट बनाकर हेरिटेज बिल्डिंग के मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है.
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