Himachal Pradesh: संसद के दोनों सदनों में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने का संशोधित बिल पास हुआ. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया. इसी साल 4 अगस्त को इस संबंध में अधिसूचना जारी होने के बाद अब हाटी समुदाय को हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से आगामी कार्रवाई का इंतजार है. हाटी समुदाय के लोग सरकार की ओर से प्रदेश में मिलने वाले जनजातीय दर्जे का इंतजार कर रहे हैं. समुदाय के लोगों के तीन महीने के इंतजार के बाद अब तक राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी नहीं हुई है.
दिवाली के बाद बड़े आंदोलन की चेतावनी
राज्य सरकार की ओर से हो रही देरी के बाद अब हाटी समुदाय के लोगों का सब्र का बांध टूटता हुआ नजर आ रहा है. शिमला में सिरमौर हाटी विकास मंच ने प्रेस वार्ता की. इस प्रेस वार्ता में हाटी समुदाय ने राज्य सरकार को चेतावनी दे डाली है. हाटी समुदाय ने सुक्खू सरकार को दिवाली तक का वक्त दिया है. सिरमौर हाटी विकास मंच के प्रवक्ता डॉ. रमेश सिंगटा ने कहा कि अगर सरकार ने वक्त रहते इस संबंध में कार्रवाई नहीं की, तो दिवाली के बाद बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से संबंध में गैजेट की अधिसूचना जारी हो चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार इसे नहीं रोक सकती. राज्य सरकार इसमें बेवजह देरी कर रही है. ऐसे में अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है कि केंद्र सरकार की ओर से पारित कानून को प्रदेश में लागू करने के लिए भी उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है.
कन्फ्यूजन में है राज्य सरकार
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार को इस संबंध में दो अधिसूचना मिली हैं. शुक्रवार को उद्योग मंत्री ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान बताया था कि राष्ट्रपति की ओर से जारी अधिसूचना में पूरे क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की बात कही गई है, जबकि अंडर सेक्रेटरी की ओर से प्राप्त अधिसूचना में सिर्फ सामान्य वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों को ही अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए कहा गया है. हालांकि राष्ट्रपति की ओर से मिली अधिसूचना सर्वोच्च है, लेकिन बावजूद इसके सरकार ने इस कंफ्यूजन के चलते केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. इसके अलावा सरकार की ओर से जनजातीय दर्जा देने के मामले में बेस डेट के बारे में भी स्पष्ट जानकारी नहीं है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेस डेट के बारे में भी जानकारी मांगी है. जैसे ही केंद्र सरकार से जवाब मिलेगा, वैसे ही हिमाचल प्रदेश सरकार अनुसूचित जनजाति के दर्जे को लागू कर देगी.
अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं होना चाहता SC समुदाय
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि गिरीपार क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोग अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं होना चाहते. लंबे वक्त से वह यही मांग कर रहे हैं कि उन्हें जनजाति में शामिल न किया जाए. मौजूदा वक्त में उन्हें 17 फीसदी दिया आरक्षण मिल रहा है, जबकि जनजाति में शामिल होने के बाद उन्हें केवल चार फीसदी आरक्षण मिलेगा. ऐसे में वे इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका यह विरोध जायज भी है. यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, ताकि इस कंफ्यूजन को दूर किया जा सके.
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