Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की अर्जी लगाई गई थी. हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे. इससे पहले अभिषेक मनु सिंघवी के कोर्ट में पेश न होने की वजह से मामला अगली तारीख के लिए टल गया था.


सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की ट्रांसफर पिटीशन


हिमाचल प्रदेश सरकार ने ट्रांसफर पिटीशन में यह दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में मुख्य संसदीय सचिवों से जुड़ा केस लंबित है. हिमाचल प्रदेश में भी इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है. लिहाजा, इसे सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाए. भारतीय जनता पार्टी की विधायकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट सत्यपाल जैन ने बताया कि हिमाचल सरकार की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा है. उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होनी है.


हिमाचल प्रदेश में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति


बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वक्त में छह मुख्य संसदीय सचिव हैं. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक सतपाल सिंह सत्ती के साथ अन्य 11 बीजेपी विधायकों ने इस नियुक्ति को चुनौती दी है. भाजपा विधायकों के साथ पीपल का रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने भी इसी मामले में याचिका दायर की है. उच्च न्यायालय दोनों याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई कर रहा है. हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं. इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं.


जयराम ठाकुर ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत


सुप्रीम कोर्ट की ओर से हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार की ट्रांसफर पिटीशन खारिज होने का पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने स्वागत किया है. जय राम ठाकुर ने लिखा- 'झूठ बोलकर सत्ता में आई कांग्रेस ने जनता की अनदेखी कर मित्रों को लाभ पहुंचाने का काम किया है. मुख्य संसदीय सचिव मामले में कांग्रेस की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होना हिमाचल की कांग्रेस सरकार के लिए बड़ा झटका है. हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हैं'. अब सभी की नज़र हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में होने वाली 7 दिसंबर की सुनवाई पर है.


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