Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद धर्मशाला के जोरावर स्टेडियम में आभार रैली का आयोजन किया गया. इसी के साथ सरकार बनने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कांगड़ा पहुंचे. कांग्रेस ने इस रैली के जरिए पार्टी ने जनता के बीच शक्ति प्रदर्शन की भी कोशिश की. प्रोटोकॉल के मुताबिक मंच पर एक-एक कर नेताओं ने भाषण दिया, लेकिन पार्टी के किसी नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का जिक्र तक नहीं किया.
शाहपुर से विधायक कुलदीप सिंह पठानिया ने अपने भाषण से कार्यक्रम की शुरुआत की. पठानिया के बाद नगरोटा बगवां से विधायक रघुबीर सिंह बाली और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने भी भाषण दिया, लेकिन अपने भाषण में एक बार भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जिक्र नहीं किया.
प्रतिभा सिंह की नेताओं को खरी-खरी
इन नेताओं के भाषण में हिमाचल के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जिक्र न होने पर हिमाचल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह नाराज नजर आईं. प्रतिभा सिंह ने शुरुआत तो संगठन और सरकार की एकता के साथ की, लेकिन फिर सुधीर शर्मा के बहाने सभी को बता दिया कि पार्टी को खड़ा करने वाले पुराने नेताओं को भी नहीं भुलाया जाना चाहिए. पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नाम के साथ वीरभद्र सिंह के नाम का जिक्र करते हुए प्रतिभा सिंह ने यह बता दिया कि हिमाचल प्रदेश के विकास में वीरभद्र सिंह का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कोई जीवन भर नहीं रहता, लेकिन सभी के योगदान को याद रखा जाना चाहिए.
सीएम और डिप्टी सीएम ने भी नहीं किया वीरभद्र का जिक्र
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने सुधीर शर्मा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्मशाला का भी विकास हुआ है. इस विकास में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का भी योगदान है. ऐसे में उनके योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए. खास बात यह भी रही कि प्रतिभा सिंह के भाषण के बाद पहले डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और फिर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी जनता को संबोधित किया, लेकिन इन दोनों नेताओं ने भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जिक्र नहीं किया.
पोस्टर में नहीं दिखे वीरभद्र सिंह की तस्वीर
साल 2022 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव कांग्रेस वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ने का दावा करती रही. विक्रमादित्य सिंह भी लगातार कई बार हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र मॉडल लागू करने की बात कहते रहे. अब चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वीरभद्र सिंह का नाम मंच से गायब हो गया. आलम यह है कि अब वीरभद्र सिंह की तस्वीर भी केवल उनके पुराने और कट्टर समर्थकों के पोस्टर में ही नजर आई.