Kiran Bhadana Success Story: मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे, सपने वो नहीं होते हैं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते हैं. ऐसा ही एक सपना राजस्थान (Rajastahn) के भरतपुर की रहने वाली किरण भड़ाना (kiran Bhadana)ने भी देखा.
अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी किरण भड़ाना गुर्जर समुदाय से संबंध रखती हैं. उनके पिता अतर सिंह भड़ाना राजनीति में हैं. इस समाज में अमूमन लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता. ऐसे में राजस्थान से निकलकर दिल्ली में पढ़ाई कर किरण भड़ाना ने पहले ही अपने समाज की लड़कियों के सामने उदाहरण स्थापित कर दिया था. दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ किरण भड़ाना ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी.
यूपीएससी में हासिल किया 120वां रैंक
किरण भड़ाना ने पहला प्रयास साल 2012 में किया. पहले प्रयास में किरण असफल रहीं. इसके बाद साल 2014 और साल 2015 में भी उनके प्रयास सफल नहीं हो सके. किरण भड़ाना ने साल 2016 में एक और प्रयास किया. इस प्रयास में वे सफल रहीं. किरण भड़ाना ने देश की सबसे मुश्किल माने जाने वाली परीक्षा यूपीएससी को पास कर देश भर में 120वां रैंक हासिल किया और वो समाज की बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं. अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें फर्टिलाइजर्स असिस्टेंट सेक्रेटरी का पद मिला.
हिमाचल सरकार की योजनाएं जनतातक पहुंचाने की जिम्मेदारी
हिमाचल कैडर की आईएएस अधिकारी किरण भड़ाना मौजूदा वक्त में सूचना और जन संपर्क विभाग की डायरेक्टर के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं. उन पर सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी है. इससे पहले वे साल 2020 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में भी एसडीएम के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं. उन्होंने जनजातीय जिला चंबा के सलूणी में भी एसडीएम के तौर पर सेवाएं दी. किरण भड़ाना शिमला में एडीसी का काम भी देख चुकी हैं.
हजारों लड़कियों की प्रेरणा स्रोत हैं किरण भड़ाना
आईएएस अधिकारी किरण भड़ाना उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो सपने देखने से डरती हैं. भले ही सामने चुनौतियां हजार हों, लेकिन उन पर पार पाया जा सकता है. इसके लिए जरूरत है, तो सिर्फ दृढ़ निश्चय और अटूट संकल्प की जिसे किरण भड़ाना ने कभी टूटने नहीं दिया.
संघर्ष के दौरान हौसला कई बार भले ही कम पड़ा, लेकिन फिर उसे कई गुना ताकत के साथ वापस लाकर किरण भड़ाना ने एक मुकाम हासिल किया. वे जरूरतमंद यूपीएससी एस्पिरेंट्स की मदद करती हैं, ताकि आभाव के चलते किसी काबिल के सपने चूर न हो जाएं.