Diwali Festival 2023: हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखने वाला दिवाली का त्योहार आने वाला है. दिवाली (Diwali) को देश का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. धार्मिक महत्व वाला यह वही दिन है, जब प्रभु श्री राम लंका विजय कर वापस अयोध्या लौटे थे. इस दौरान बाजार में खूब रौनक लगी रहती है और लोग जमकर खरीददारी भी करते हैं. दिवाली के मौके पर आर्थिक रूप से संपन्न लोग गाड़ी खरीदने के लिए भी इस त्योहार को उपयुक्त मानते हैं. इसके लिए साल भर धनतेरस के त्योहार का भी इंतजार होता है. बच्चों के लिए नए कपड़े खरीदने के लिए भी दिवाली का मौका खास होता है. 


थैले में छिपी बच्चों की खुशियां


दिवाली के मौके पर जहां सभी लोग उत्साह और उमंग से भरपूर रहते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास महंगी गाड़ियां खरीदने के पैसे तो दूर बल्कि कपड़े खरीदने तक के लिए पैसे नहीं हैं. ऐसे ही बच्चे इन दिनों शिमला के बाजार में भी नजर आ रहे हैं. हाथ में थैला पकड़े छोटी बच्चे रोज दौड़-भाग कर पटाखे बेचने की कोशिश में लगे रहते हैं. छोटी-सी डिब्बी में आने वाले इस पटाखे को पॉप कहा जाता है, जो जमीन पर पटकने के बाद आवाज करता है. इसका दाम सिर्फ 20 रुपए है. यह बच्चे शिमला के कृष्णनगर और लालपानी स्कूल में पढ़ाई करते हैं. स्कूल से छुट्टी होने के तुरंत बाद मालरोड पर पॉप बचने के लिए पहुंच जाते हैं.


एक दिन में 50 रुपए से भी कम की कमाई


शाम के वक्त शिमला की ठंड में दौड़-भाग करते हुए यह बच्चे ब-मुश्किल 200 रुपए की ही बिक्री कर पाते हैं. इसमें कमाई तो 50 रुपए से भी कम की होती है. दिवाली के मौके पर कमाई करने की मंशा से आ रहे इन बच्चों के माता-पिता दिहाड़ी-मजदूरी का काम करते हैं. इन दिनों शिमला के बाजार में नजर आ रहे यह बच्चे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और लंबे वक्त से इनका परिवार शिमला में ही रह रहा है.  


'दिवाली पर नए कपड़े खरीदने हैं'


शिमला में पटाखे बेचने वाली शीतल (काल्पनिक नाम) ने बताया कि शाम चार बजे से देर रात तक लोगों के पीछे दौड़-भाग करने के बाद थोड़ी-बहुत कमाई हो पाती है. पिता आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं. मां भी लोगों के घरों पर जाकर काम करती है. पिता ने कहा है कि अगर दिवाली पर अच्छी कमाई होगी, तो वह उन्हें नए कपड़े दिलाएंगे. नए कपड़े लेने के लिए ही वह यह सामान बेच रहे हैं. काम करते हुए देरी भी हो जाती है. ऐसे में स्कूल से मिला होमवर्क निपटाने में भी परेशानी होती है. मालरोड पर इस तरह सामान बेचने की अनुमति भी नहीं है. ऐसे में गश्त पर आने वाले पुलिस जवान भी बार-बार उन्हें भगा देते हैं.


मां को तोहफे में दूंगा साड़ी 


शीतल के साथ पटाखे बेच रहे प्रकाश (काल्पनिक नाम) ने बताया कि लोगों को जब कोई बड़ी-बड़ी दुकानों से शॉपिंग करते देखता है, तो उसका मन भी कपड़े खरीदने को करता है. प्रकाश बताता है कि वह भी अपने घर की आर्थिक स्थिति समझता है. ऐसे में वह खूब मन लगाकर पढ़ाई भी करता है और बड़ा होकर ऐसे ही बड़ी-बड़ी दुकानों से शॉपिंग करना चाहता है. नौकरी लगने पर प्रकाश मां को खूबसूरत साड़ी और पिता को जूते तोहफे में देगा. दिवाली से पहले पटाखे बेचकर पिता माता-पिता के सहयोग के लिए छोटी-सी कोशिश करने में लगा हूं. उम्मीद है कि कमाई अच्छी होगी और हमारी दिवाली भी खुशी के साथ मनेगी.


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