भारत के भविष्य को कैसे देखते हैं हिमाचल के छात्र नेता? राष्ट्रसेवा और आर्थिक विकास पर दिया जोर
Himachal: भारत की आजादी को 77 साल पूरे होने जा रहे हैं. देश में स्वतंत्रता दिवस की लहर है. इस बीच हिमाचल के विभिन्न छात्र संघों के अध्यक्ष ने आने वाली पीढ़ी की भविष्य को लेकर विशेष तौर पर चर्चा की.
Independence Day 2024: स्वतंत्र भारत 78वें साल में प्रवेश करने जा रहा है. यूं तो 78 साल की उम्र वृद्धावस्था की होती है, लेकिन अगर राष्ट्र के लिहाज से देखा जाए तो यह उम्र यौवन की है. युवा भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है.
भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारत का नाम आज विश्व पटल पर चमक रहा है. आने वाला भविष्य पूरी तरह भारत के लिए ही समर्पित रहने वाला है. ऐसे में एबीपी न्यूज ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न छात्र संघों के अध्यक्ष से जाना कि उनके जहन में भविष्य के भारत की तस्वीर कैसी है. इसके लिए एबीपी न्यूज़ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद-ABVP, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया-NSUI और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया-SFI के राज्य अध्यक्षों से बात की.
विश्व को भारत में नजर आती है उम्मीद- ABVP
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री आकाश नेगी का कहना है कि भारत ने तमाम चुनौतियों के बावजूद विश्व पटल पर अपना नाम बनाया है. जिस तेजी से आज भारत आगे बढ़ रहा है. वह अन्य देशों के लिए भी उदाहरण है.
भारत के पड़ोसी देश के हालात से पूरा विश्व परिचित हैं. बावजूद इसके भारत अंगद की तरह मजबूत कदम की तरह डटा हुआ है. हमारा देश विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. आज पूरा विश्व भारत को उम्मीद की निगाह से देख रहा है.
भारत विश्व के सबसे सुरक्षित देश की श्रेणी में शुमार है. भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनाने में देश के भारत के युवाओं की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का हर कार्यकर्ता राष्ट्र सेवा में जुटकर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम कर रहा है. देश आज भारत की प्रगति देख खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का हर कार्यकर्ता भारत मां के परम वैभव को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
77 साल का सफर बेहद गौरवशाली- NSUI
एनएसयूआई के राज्य अध्यक्ष छतर सिंह ठाकुर कहते हैं कि भारत की 77 साल की आजादी का सफर बेहद गौरवशाली रहा. भले ही यह सफर उतार और चढ़ाव से भरा रहा हो, लेकिन भारत पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ा. पूर्व में कांग्रेस पार्टी के दूरदर्शी नेताओं के कुशल नेतृत्व में देश ने आर्थिक, विकास सामाजिक न्याय और वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करने जैसी शानदार उपलब्धियां हासिल की. छतर सिंह ठाकुर मोदी सरकार के कार्यकाल की आलोचना भी करते हैं.
गंभीर समस्याओं का मिलकर होना चाहिए समाधान
छतर सिंह ठाकुर कहते हैं कि भविष्य के भारत की तस्वीर समृद्ध, सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और वैश्विक विश्व में प्रभावशाली होनी चाहिए. इसके लिए हमें अपने संविधान के मूल्यों को मजबूत करना, लोकतंत्र को गहरा करना और समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना होगा.
एनएसयूआई के राज्य अध्यक्ष के नाते वे समाज को आश्वस्त करना चाहते हैं कि एनएसयूआई छात्र संगठन का एक-एक कार्यकर्ता हमेशा राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित है और आने वाले वक्त में अन्य युवाओं को भी जोड़ा जाएगा. देश की आजादी के 77 साल होने के बाद भी हम कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसमें जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर भेदभाव बेहद गंभीर समस्या है. इस दिशा में हम सभी को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है. छतर सिंह ठाकुर एनएसयूआई अध्यक्ष होने के नाते भारत देश के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं.
SFI का सवाल- क्या हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं?
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए देश की गंभीर समस्याओं पर भी अपनी बात रखते हैं. अनिल ठाकुर कहते हैं कि 15 अगस्त 1947 को कई वर्षों की लंबी गुलामी के बाद हमारे देश ने स्वतंत्रता हासिल की. लेकिन सवाल यह है कि हमारे पूर्वजों ने जिस आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. क्या हम उसे दिशा में सही तरह से आगे बढ़ भी रहे हैं या नहीं. आने वाला वक्त देश के लिए चुनौतियों से भरा रहने वाला है. आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद हम क्या उसे मुकाम तक पहुंच पाए हैं, जहां राष्ट्र को विकसित राष्ट्र की संज्ञा दी जा सके.
हर वर्ग के विकास की जरूरत पर ध्यान
अनिल ठाकुर कहते हैं कि हम इस बात को अनदेखा नहीं कर सकते हैं कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक- 2023 में कुल 125 देश में भारत का 111वां स्थान है. यह भारत की गंभीर स्थिति को दर्शाता है. इसके अलावा बच्चों में बौनापन 35.5 फीसदी है और भारत में अल्प पोषण की व्यापकता 16.6 फीसदी है. यह सब राष्ट्र के लिए गंभीर समस्या है और इनका जड़ से समाधान करना जरूरी है. अनिल ठाकुर कहते हैं कि आजादी के बाद वह दौर भी था, जब देश की जनता पढ़ी-लिखी नहीं थी.
लेकिन, उस वक्त भी देश ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार कर पटरी पर लाया गया. आज के समय में ऐसे कम ही व्यक्ति देखने को मिलते हैं, जो पढ़े-लिखे न हो. लेकिन, लोग अपने अधिकारों के लिए भी जागरूक नहीं हैं. इसलिए हमें इन सब मुद्दों पर विमर्श करने की जरूरत है. राष्ट्र को विकसित बनाने के लिए उसे आर्थिक तौर पर विकसित होने के साथ सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर भी विकसित होने की जरूरत है.
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