Indira Gandhi Medical College and Hospital: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला (Shimla) में स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के कैंसर हॉस्पिटल का सिस्टम कैंसर मरीजों के दर्द को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर रहा है. कैंसर हॉस्पिटल के कमरा नंबर-26 के बाहर रोजाना लंबी कतारें लगती हैं. इस कमरे के बाहर ही आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) और हिम केयर कार्ड (Him Care Card) के जरिए मुफ्त सुविधा लेने के लिए मरीजों के तीमारदारों को लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. घंटों के इंतजार के बाद भी जब कमरे में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर नहीं आते, तो तीमारदार मजबूर होकर फर्श पर नीचे बैठने के लिए मजबूर हो जाते हैं.


दरअसल, केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत और हिमाचल सरकार की हिम केयर योजना का लाभ लेने के लिए जूनियर डॉक्टर एक फॉर्म भरते हैं. इस फॉर्म को कैंसर हॉस्पिटल के कमरा नंबर-26 में भरा जाता है. इस कमरे में एक जूनियर डॉक्टर की ड्यूटी होती है, जो मरीजों का फॉर्म भरते हैं. गौरतलब है कि शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज बिलकुल मुफ्त किया जाता है. लोगों को मुफ्त इलाज का फायदा इस फॉर्म को भरने के बाद ही मिल पाता है.


'देर से ड्यूटी पर आते हैं डॉक्टर'


यहां रोजाना सुबह के वक्त मरीजों को लाइन में खड़े रहना पड़ता है. सुबह 11 बजे तक कोई डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आता. ऐसे में लोग खासे परेशान रहते हैं. दूरदराज से कैंसर का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को तो और ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है. ऐसे में सरकारी अस्पताल का ढीला-ढाला सिस्टम कैंसर के मरीजों का दु:ख-दर्द बढ़ाने का काम कर रहा है. मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि सीनियर डॉक्टर के राउंड से वापस जाने के बाद जूनियर डॉक्टर काफी देर तक कमरे में नहीं आते. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.


मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने क्या कहा?


वहीं, इस बारे में कैंसर हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष गुप्ता का कहना है कि डॉक्टरों का राउंड पूरा होने के बाद कमरा नंबर-26 में फॉर्म भरे जाते हैं. उन्होंने कहा कि मरीजों और उनके तीमारदारों को कोई परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. राउंड पूरा होने के तुरंत बाद डॉक्टर कमरे में पहुंच जाते हैं. अस्पताल प्रशासन यह कोशिश करता है कि मरीजों और उनके तीमारदारों को किसी तरह की कोई परेशानी न उठानी पड़े.


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