Shimla News: एक तरफ देश भर में जहां भारतीय जनता पार्टी का डंका बज रहा है. वहीं, दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में भाजपा को एक के बाद एक झटके लगते नजर आ रहे हैं. पहले उपचुनाव में 4-0 से हार और फिर विधानसभा चुनाव में मिशन रिपीट का सपना अधूरा रहने के बाद अब नगर निगम शिमला चुनाव से पहले हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Suresh Kumar Kashyap) के इस्तीफे की खबरों ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है.
सुरेश कश्यप के इस्तीफे की खबर
10 दिन बाद नगर निगम शिमला के चुनाव हैं. पूरे प्रदेश की निगाहें शिमला की ओर टिकी हुई हैं. ऐसे में भाजपा में उठापटक नजर आ रही है. वीरवार दोपहर पहले हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप के इस्तीफे की खबर सामने आई. दावा किया गया कि निजी कारणों के चलते सुरेश कश्यप ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन इसके बाद यह खबर पुष्ट नहीं हो सकी. आज दो दिन बीत जाने के बाद अब तक भी पार्टी की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. न ही पार्टी का कोई आला अधिकारी इस बारे में जवाब देने के लिए तैयार है.
टिकट आवंटन से नाराज नेता
इस बीच हिमाचल बीजेपी महिला मोर्चा अध्यक्ष रश्मिधर सूद के इस्तीफे की खबरें भी सामने आई. जिसे रश्मिधर सूद ने सिरे से खारिज कर दिया. दरअसल, नगर निगम शिमला चुनाव में हुए टिकट आवंटन के चलते नेताओं का आपसी वैमनस्य बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. गुटबाजी से जूझ रही हिमाचल बीजेपी के नेता अपने-अपने चहेतों को टिकट दिलाने में जुटे हुए थे. कुछ नेता सफल हो सके और कुछ को आश्वासन से ही अपना पेट भरना पड़ा. हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप के पसंदीदा कई उम्मीदवारों को पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया. इसके बाद ऐसे नेताओं को संगठन में नियुक्तियां देकर अलग-अलग जगह एडजस्ट करने की कोशिश की गई. जिन्हें संगठन में भी नियुक्ति नहीं मिल सकी, उन्हें भविष्य का आश्वासन देकर फिलहाल टाल दिया गया है. हाल ही में हिमाचल बीजेपी महिला मोर्चा में की गई नियुक्ति से प्रदेश अध्यक्ष रश्मिधर सूद नाराज बताई जा रही हैं.
नहीं बदला गया प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी को उपचुनाव में मिली हार के बाद ही सुरेश कश्यप के इस्तीफे को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई थी. हालांकि यह इस्तीफा हुआ नहीं. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी फैक्टर भाजपा के पक्ष में होने के बावजूद पार्टी को बुरी हार मिली और मिशन रिपीट का सपना अधूरा रह गया. मार्च महीने में विधानसभा के बजट सत्र के बीच ही पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार को दिल्ली बुलाया गया. इस वक्त भी चर्चा ने जोर पकड़ा कि अब सुरेश कश्यप को बदला जा रहा है. तीन राज्यों में तो भाजपा के अध्यक्ष बदले गए, लेकिन हिमाचल एक बार फिर बच गया.
असमंजस में पार्टी कार्यकर्ता
अब नगर निगम शिमला चुनाव से पहले हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप के इस्तीफे की खबरें पार्टी के लिए किसी भी तरह सुखद नहीं हैं. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि सुरेश कश्यप ने इस्तीफा दिया नहीं बल्कि उनसे इस्तीफा लिया गया है. दोनों ही स्थितियां भाजपा के लिए चिंता का सबब है. अगर सुरेश कश्यप ने चुनाव से पहले इस्तीफा दिया, तो इसका नुकसान ग्राउंड जीरो पर काम कर रहे पार्टी प्रत्याशियों को होगा और अगर यह इस्तीफा लिया गया है, तो इसे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का सही राजनीतिक कदम नहीं कहा जा सकता.
श्रीकांत शर्मा बने चुनाव प्रभारी
जानकारों का यह भी मानना है कि सुरेश कश्यप उपचुनाव, विधानसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बाद अब नगर निगम शिमला चुनाव में हार का ठीकरा अपने सिर पर नहीं लेना चाहते. इस सब के बीच ही सुरेश कश्यप के अस्पताल में भर्ती होने की भी खबरें आई हैं और चुनाव से अचानक 12 दिन पहले पूर्व हिमाचल बीजेपी प्रभारी और मथुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्रीकांत शर्मा को नगर निगम शिमला चुनाव का प्रभारी बना दिया गया. इससे पहले हिमाचल प्रदेश सरकार में पूर्व ऊर्जा मंत्री को भी नगर निगम शिमला चुनाव का प्रभारी बनाया गया है.
क्या है इनसाइड स्टोरी?
एक तरफ सुरेश कश्यप अस्पताल में भर्ती हैं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कोरोना की वजह से आइसोलेट हैं और विधानसभा चुनाव में प्रभारी रहे बीजेपी उपाध्यक्ष सौदान सिंह भी शिमला पहुंच चुके हैं. कुल-मिलाकर पार्टी आलाकमान स्थानीय नेताओं की जगह बाहरी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर नगर निगम शिमला चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार के सवा तीन महीने ही पूरे हुए हैं. ऐसे में नगर निगम शिमला चुनाव में भी कांग्रेस सरकार के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए नगर निगम शिमला चुनाव में मिशन रिपीट की राह कांटों भरी है. इस बीच पार्टी नेताओं की उठापटक चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है. अब जानकार राजनीति के गुणा-गणित समझने की कोशिश कर रहे हैं कि सुरेश कश्यप खुद चुनाव से दूरी बना रहे हैं या उन्हें दूरी बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
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