Himachal News: मंगलवार को देश के उत्तरी भाग में भूकंप (Earthquake) के जोरदार झटके महसूस किए गए. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का भी एक बड़ा हिस्सा है, जो सिस्मिक जोन-5 में आता है. हिमाचल प्रदेश में अमूमन भूकंप का खतरा बना ही रहता है. ऐसे में जनता के साथ सरकार भी भूकंप को लेकर लगातार चिंतित रहती है.


'भूकंपरोधी बनाए जायेंगे नए भवन'
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वे इस बारे में पहले भी विभाग के साथ बैठक कर चुके हैं. इस बारे में बैठक के लिए विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश भर में जो नए भवन बनाए जा रहे हैं, उन्हें भूकंपरोधी बनाया जाए. साथ ही भवन बनाने में एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, ताकि भूकंप के वक्त नुकसान को कम से कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों को इस बारे में स्टडी करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में सरकार-प्रशासन पूरी तरह तैयार रहे.


क्यों आता है भूकंप?
दुनियाभर के अलग-अलग इलाकों में हर साल छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं. जानकार मानते हैं कि दुनिया भर में हर साल लगभग 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप आते हैं. इनमें कुछ तो इतने मामूली होते हैं कि वे सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नहीं हो पाते. कुछ भूकंप इतने शक्तिशाली होते हैं कि भयंकर तबाही मचा देते हैं. भूकंप आने का कारण धरती के भीतर की उथल-पुथल बताई जाती है. एक तथ्य यह भी है कि ये भूकंप के झटके लाखों की संख्या में होते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नहीं लग पता है.


सिस्मिक जोन पांच में आता है हिमाचल
भूकंप को लेकर पूरे देश को पांच जोन में बांटा गया है. यह पांच जोन बताते हैं कि कौन से राज्य या इलाकों में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है. इसमें पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. जोन पांच में नुकसान की सबसे ज्यादा आशंका बनी रहती है. देश का करीब 11 फीसदी हिस्सा पांचवें जोन में आता है. हिमाचल प्रदेश सिस्मिक जोन पांच में शामिल है.


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