Param Vir Chakra: परमवीर चक्र से सम्मानित जवानों के नाम पर रखे गए 21 द्वीपों के नाम, हिमाचल के चार शूरवीरों को सम्मान
अदम्य साहस और शौर्य के लिए दिए जाने वाला परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) देश का सर्वोच्च सम्मान है. अब तक कुल 21 परमवीर चक्र में से चार हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के भी हिस्से आए हैं.
Andaman And Nicobar Islands Named: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीप देश के जांबाज परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे. इनमें हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मेजर सोमनाथ शर्मा (Somnath Sharma), लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा (Dhan Singh Thapa), कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) और सूबेदार मेजर संजय कुमार (Sanjay Kumar) के नाम भी शामिल हैं. अदम्य साहस और शौर्य के लिए दिए जाने वाला परमवीर चक्र देश का सर्वोच्च सम्मान है. अब तक कुल 21 परमवीर चक्र में से चार हिमाचल प्रदेश के भी हिस्से आए हैं. आकार में छोटे और जज्बे में बड़े पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव का विषय है.
मेजर सोमनाथ शर्मा
भारत सरकार की ओर से दिए जाने वाला पहला परमवीर चक्र हिमाचल प्रदेश के मेजर सोमनाथ शर्मा को दिया गया था. मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को हिमाचल के कांगड़ा जिले में हुआ था. 1947 में आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया था. इस दौरान मेजर सोमनाथ शर्मा को अदम्य साहस के लिए यह सम्मान दिया गया था. मेजर सोमनाथ शर्मा ने न केवल बहादुरी से लड़ाई लड़ी, बल्कि अपने साथ लड़ाई के लिए गए सैनिकों को भी जोश से भरने का काम किया. मेजर सोमनाथ शर्मा ने कहा था कि जब तक उनके पास आखिरी सैनिक, आखिरी गोली और आखिरी सांस है, तब तक वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे.
कैप्टन विक्रम बत्रा
हिमाचल प्रदेश के साथ देश भर के युवाओं के लिए प्रेरणा माने जाने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा को हर कोई जानता है. 24 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने देश की भूमि को बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को पालमपुर में हुआ था. जंग के मैदान में ही उन्हें लेफ्टिनेंट से कैप्टन के पद पर प्रमोट किया गया था. कैप्टन बत्रा ने अपने एक साथी की जान बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. युद्ध के दौरान विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कैप्टन बत्रा ने माउंट 5140 के साथ चोटी पर भी देश का झंडा फहराया था. कैप्टन बत्रा का 'यह दिल मांगे मोर' का नारा आज भी देश के लोगों में जोश भरने का काम करता है.
मेजर धन सिंह थापा
मेजर धन सिंह थापा का जन्म 10 अप्रैल 1928 को शिमला में हुआ था. 8 गोरखा रेजिमेंट के धन सिंह थापा को 1962 में भारत-चीन युद्ध के लिए याद किया जाता है. उन्होंने 19-20 अक्टूबर 1962 को मुट्ठी भर सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों के दो आक्रमण विफल कर दिए थे. आमने-सामने की जंग में कई चीनी सैनिकों को मार गिराया था. युद्ध के बाद चीन ने मेजर धन सिंह थापा को युद्ध बंदी बना लिया और उन्हें जेल में कई यातनाएं दी गईं. कई सालों बाद उन्हें बंदी के तौर पर रिहा किया गया और इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया.
राइफलमैन संजय कुमार
हिमाचल के बिलासपुर में जन्मे संजय कुमार ने साल 1999 की करगिल जंग में अपने शौर्य का परिचय दिया था. वो 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स से थे. 4 जुलाई 1999 को जम्मू कश्मीर के मुशकोह में उन्हें एक ऊंची खड़ी चढ़ाई से होते हुए दुश्मनों तक पहुंचना था. करगिल की जंग में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जहां से भारतीय सैनिक उनके निशाने पर थे. खड़ी चढ़ाई पर चढ़ते वक्त वो दुश्मन की फायरिंग की चपेट में आ गए, लेकिन उन्होंने पहले तो तीन घुसपैठियों को मार गिराया. फिर मशीन गन छोड़कर भाग रहे दुश्मनों को उन्हीं की मशीन गन से ढेर कर दिया. इस अदम्य साहस और शौर्य के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था.
देश के इन 21 जवानों के नाम पर द्वीपों का नाम
मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार मानद कैप्टन करम सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जीएस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, सीक्यूएमएच अब्दुल थापा हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर संजय कुमार और सूबेदार मेजर मार सेवानिवृत्त (मानद कैप्टन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव के नाम पर अंडमान निकोबार दीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण किया गया है.
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