Himachal Pradesh Politics: कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं हैं. राज्य की खराब आर्थिक स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया. इस वक्तव्य में सीएम ने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है. 


सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य का राजस्व घाटा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव आने वाले दो महीने तक अपने वेतन और भत्ते विलंबित करेंगे. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन के अन्य सदस्यों से भी ऐसा करने का आग्रह किया है.


जयराम ठाकुर का CM सुक्खू पर निशाना


मुख्यमंत्री की इस बात पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की प्रतिक्रिया सामने आई है. जयराम ठाकुर ने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने सदन में यह वक्तव्य दिया, तब वो सदन में मौजूद नहीं थे. मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए इस वक्तव्य को वो पढ़ेंगे. 


पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्य संसदीय सचिवों की बड़ी फौज खड़ी की है. भारतीय जनता पार्टी इस फौज को असंवैधानिक मानती है और यह मामला कोर्ट में भी लंबित है. 


जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति को तब फायदा होगा, जब सीएम सीपीएस की इस असंवैधानिक फौज को हटाएंगे. राज्य में कैबिनेट रैंक के साथ अध्यक्ष की भी एक बड़ी फौज खड़ी की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में भी विचार करना चाहिए.


रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट हुई कम 


बता दें कि हिमाचल प्रदेश में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट, जो साल 2023-24 में 8 हजार 058 करोड़ रुपये थी. वह इस साल 1 हजार 800 करोड़ रुपये कम हो कर 6 हजार 258 करोड़ रुपये हो गई है. अगले साल 2025-26 में यह 3 हजार करोड़ रुपये और कम हो कर 3 हजार 257 करोड़ रुपये रह जाएगी. 


PDNA की लगभग 9 हजार 042 करोड़ रुपये की राशि में से केंद्र सरकार से अभी तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है. NPS कंट्रीब्यूशन के लगभग 9 हजार 200 करोड़ रुपये PFRDA से प्राप्त नहीं हुए है, जिसका केंद्र सरकार से राज्य सरकार की ओर से कई बार अनुरोध कर चुके हैं. 


मुख्यमंत्री ने सदन में क्या तथ्य रखे?


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा "GST कंपनसेशन जून 2022 के बाद मिलना बंद हो गया है, जिससे हर साल करीब 2 हजार 500 से 3 हजार करोड़ की आय कम हो गई है. OPS बहाल करने के कारण सरकार की कर्ज लेने की दर भी लगभग दो हजार करोड़ से कम कर दी गई है. इन परिस्थितियों से पार पाना आसान नहीं है. हिमाचल प्रदेश ने सरकार की आय बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय (Unproductive Expenditure) कम करने का प्रयास किया है. इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा."


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