JP Nadda Visit Himachal Pradesh: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) अपने गृह राज्य हिमाचल के दौरे पर हैं. नड्डा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से ही छात्र राजनीति की शुरुआत की और वह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे हैं. नड्डा की शिमला (Shimla) के साथ कई बेहतरीन यादें जुड़ी हुई हैं, जिसका जिक्र वो अलग-अलग मंचों से करते हुए भी नजर आते हैं.


शिमला के होटल पीटर हॉफ में हुई जनसभा के दौरान जेपी नड्डा ने हिमाचल प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज (Suresh Bhardwaj) को डॉ. सुरेश भारद्वाज कहकर संबोधित किया, जबकि सुरेश भारद्वाज न तो मेडिसिन डॉक्टर हैं और न ही पीएचडी हैं. कानून के साथ विधायी कार्यों की गहन समझ रखने वाले सुरेश भारद्वाज को आखिर जेपी नड्डा ने डॉक्टर क्यों कहा? यह हर किसी के लिए कौतूहल का विषय है. दरअसल, इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है.


'डॉक्टर' के संबोधन के पीछे दिलचस्प कहानी
जेपी नड्डा और पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज एक साथ हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते थे. इस दौरान यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले सभी साथी एक-दूसरे को 'डॉक्टर' कहकर संबोधित करते थे. यह उपाधि विश्वविद्यालय की ओर से नहीं, बल्कि फूड मैस के कुक की ओर से सभी को दी गई थी. मैस इंचार्ज दिलबर हर उस छात्र को डॉक्टर कहकर संबोधित करते थे, जो विश्वविद्यालय में पांच साल से ज्यादा का वक्त पूरा कर लेता था. जेपी नड्डा और सुरेश भारद्वाज भी इसी श्रेणी के डॉक्टर में शामिल रहे. 


आज तीन दशक बाद भी यूनिवर्सिटी की तरह ही जगत प्रकाश नड्डा सुरेश भारद्वाज को डॉक्टर कहकर ही संबोधित करते हैं. इसी तरह हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और माकपा के नेता राकेश सिंघा को भी यूनिवर्सिटी के वक्त में डॉक्टर ही कहा जाता था. यह भी दिलचस्प है कि आज भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में लंबे वक्त से पढ़ाई कर रहे छात्रों को बिना पीएचडी डॉक्टर की उपाधि दे दी जाती है.


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