Kalka-Shimla Railway Heritage Track: पहाड़ों की रानी घूमने की चाह रखने वाला वाले सैलानी कालका-शिमला रेलव हैरिटेज ट्रैक का खूबसूरत सफर कर शिमला पहुंचाना चाहते हैं. लेकिन, पिछले लंबे वक्त से यहां ट्रेन की आवाजाही बंद है. बीते दिनों हुई भारी बारिश की वजह से ट्रैक पर लैंडस्लाइड हो गया, जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई, इसके बाद 14 अगस्त को हुई तेज बारिश ने ट्रेन की आवाजाही को पूरी तरह ठप कर दिया. शिमला के समरहिल इलाके में लैंडस्लाइड की वजह से ट्रैक के बेस पर लगी दीवार ढह गई और यहां आवाजाही प्रभावित हो गई. इसके अलावा भी कई जगह ट्रैक टूटने की वजह से रेलवे को ट्रेन की आवाजाही रोकनी पड़ी है. अब करीब एक महीने का वक्त बीतने के बावजूद यहां पर ट्रेनों की आवाजाही बंद है. 


अब कालका-शिमला रेलवे हैरिटेज ट्रैक पर ट्रेन की आवाजाही बाधित होने की वजह से सैलानी निराश हैं. शिमला घूमने पहुंचे सैलानी नवीन प्रजापति और कोमल चौधरी ने बताया कि वे चाहते थे कि शिमला आने के लिए इस खास टॉय ट्रेन में सफर करें, लेकिन इसके लिए उन्हें अभी इंतजार करना पड़ेगा. रेलवे ने 15 सितंबर तक कालका-शिमला के बीच चलने वाली सभी ट्रेनों को बंद रखा है. जानकारी के मुताबिक, कालका-शिमला रेलवे हैरिटेज ट्रैक पर ट्रेन की आवाजाही चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी. शुरुआती चरण में इसे कालका से सोलन के कोटी तक चलाई जाने की योजना है. इसके बाद ट्रैक को जब पूरी तरह ठीक कर लिया जाएगा, तो ट्रेन पहले की तरह शिमला पहुंच सकेगी. रेलवे ने सितंबर महीने के अंत तक हैरिटेज ट्रैक को ठीक करने का लक्ष्य रखा है. फिलहाल आवाजाही बंद होने और पुनर्निर्माण कार्यों की वजह से यहां पर जंग जैसे हालात हैं.



नवरात्रि के मौके पर ट्रेन में बढ़ती है भीड़


अक्तूबर महीने में हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखने वाले नवरात्रि भी आ रही है. नवरात्रि के दौरान पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में धार्मिक पर्यटन के लिए मां काली के भक्त शिमला पहुंचते हैं. शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर में मां काली दर्शन के लिए पश्चिम बंगाल से आने वाले बंगाली पर्यटकों का तांता लग जाता है. यह पर्यटक हर साल कालका से शिमला आने के लिए इसी टॉय ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि हर बार की तरह इन पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए रेलवे जल्द से जल्द ट्रैक की बहाली करे. इसके अलावा कालका-शिमला के बीच चलने वाली ट्रेन प्रवासी मजदूरों के लिए भी आवाजाही करने का मुख्य साधन है.


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