Kangana Ranaut On Farmers: किसान आंदोलन को लेकर अभिनेत्री और मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के विवादित बयान पर बवाल जारी है. विपक्षी पार्टियां और किसान ने कंगना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कंगना रनौत और इमरजेंसी फिल्म के निर्माताओं को लीगल नोटिस भेजा है. लीगल नोटिस में फिल्म के ट्रेलर और फिल्म में से सिखों को गलत तरीके से दिखाने वाले सीन हटाने के लिए कहा गया है. 


इसके साथ ही कंगना रनौत को आने वाली फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में पंजाब में फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म सिखों को गलत तरीके से दर्शाती है.


कंगना रनौत ने क्या कहा था?
वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार (27 अगस्त) को कंगना रनौत के बयान की निंदा करने के लिए कांग्रेस समर्थित एक प्रस्ताव पारित किया गया. कंगना रनौत ने ‘दैनिक भास्कर’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ''अगर देश में मजबूत नेतृत्व नहीं होता, तो भारत में ‘बांग्लादेश जैसी स्थिति’ पैदा हो सकती थी. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शव लटक रहे थे और रेप हो रहे थे.''


कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कंगना रनौत के बयान को बड़ा मुद्दा बनाया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने भी मंगलवार को प्रदर्शन किया. शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कंगना रनौत पर निशाना साधते हुए उम्मीद जताई कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगेंगी और बीजेपी इस पर खेद व्यक्त करेगी. 


उन्होंने कहा, ‘‘कंगना रनौत ने किसानों के खिलाफ अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगी है. बीजेपी के बयान में किसानों के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई खेद नहीं जताया गया है. वह बीजेपी की सदस्य और सांसद हैं, अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह कहना उचित होगा कि भाजपा किसानों के लिए केवल दिखावटी वादा कर रही है.’’


बीजेपी की सफाई
बीजेपी ने भी कंगना रनौत के बयान से दूरी बना ली. पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है. बीजेपी कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है. पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं.’’


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