Kangana Ranaut News: हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच कृषि कानूनों पर बीजेपी सांसद कंगना रनौत का बयान भारतीय जनता पार्टी की परेशानी बढ़ाता हुआ नजर आ रहा है. इस बीच उन्होंने अपने बयान पर खेद जताया है.
मंडी से सांसद कंगना रनौत ने कहा, ''पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे कृषि कानूनों पर सवाल किए. मैनें इस दौरान कृषि कानून वापस लाने का सुझाव दिया.मेरी इस बात से बहुत सारे लोग निराश हैं. जब कृषि कानून आया तो बहुत सारे लोगों ने इसका समर्थन किया. लेकिन बड़े ही संवेदनशीलता और सहानुभूति से हमारे प्रधानमंत्री ने ये लॉ वापस ले लिया.''
उन्होंने आगे कहा, ''हम सभी कार्यकर्ताओं का कर्तव्य बनता है कि उनके शब्दों की गरिमा रखें. मुझे ये बात भी ध्यान रखना होगा कि मैं सिर्फ एक कलाकार नहीं हूं, बीजेपी की कार्यकर्ता हूं. मेरी राय अपनी नहीं होनी चाहिए, पार्टी का स्टैंड होना चाहिए. अगर मैंने अपने शब्दों और सोच से किसी को निराश किया है तो हमें खेद रहेगा, हम अपने शब्द वापस लेते हैं.''
किस बयान पर हुआ विवाद?
कंगना रनौत ने अपने बयान के दौरान ही कह दिया था कि यह बयान कंट्रोवर्शियल हो सकता है, लेकिन वह चाहती हैं कि किसान आगे आकर तीन कृषि कानून को वापस लाने की बात करें. तीनों कृषि कानून किसानों के हित में होंगे.
कंगना रनौत के बयान से बीजेपी का किनारा
सांसद कंगना रनौत के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी ने किनारा कर लिया है. बीजेपी की ओर से कंगना रनौत के बयान को व्यक्तिगत बताकर इसका खंडन किया गया है. भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक वीडियो जारी कर कंगना रनौत के बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया.
गौरव भाटिया ने कहा कि कंगना रनौत के बयान से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. वह किस कानून कृषि कानून पर कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इस पर कंगना रनौत की भी टिप्पणी सामने आई है. कंगना रनौत ने भी स्पष्ट किया है कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है और इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.
कंगना रनौत ने क्या कहा था?
कंगना रनौत ने कहा था कि वापस लिए गए तीन कृषि कानून वापस आने चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों के हित में थे. कंगना रनौत ने आगे कहा था कि यह बयान कंट्रोवर्शियल हो सकता है, लेकिन वे किसानों से मांग करती हैं कि वह खुद ही इन कृषि कानून को वापस लेने की बात करें. कंगना रनौत ने कहा कि कुछ राज्यों में ही इन कृषि कानून का विरोध हुआ था. उन्होंने कहा कि वह एक किसान परिवार से संबंध रखती हैं. यह कानून किसानों के हित में थे. जिस तरह से अन्य देशों में किसान समृद्ध हैं, उसी तरह भारत में भी किसान समर्थ बन सकते हैं.
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