Himachal News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में करीब 2 हजार 500 किलोमीटर की दूरी है. दूरी भले ही हजारों किलोमीटर की हो, लेकिन कांग्रेस नगर निगम शिमला चुनाव में जीत की हवा को कर्नाटक ले जाना चाह रही है. उत्तर भारत से चली हवा दक्षिण भारत तक पहुंच सकेगी या नहीं, यह अपने आप में ही बड़ा सवाल है. सवाल यह भी है कि आखिर नगर निगम शिमला चुनाव और कर्नाटक विधानसभा चुनाव का आपस में क्या रिश्ता है?
क्या जाखू के बजरंग बली पार लगाएंगे नैया?
हर राज्य की तरह कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव को मूल मुद्दों से भटका कर धर्म की लड़ाई पर ला दिया गया है. कर्नाटक में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद बजरंग दल को प्रतिबंधित करने की बात कही, तो बीजेपी ने इसे भगवान हनुमान का अपमान बता दिया. अब यह सियासी लड़ाई धर्म के नाम पर आ चुकी है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी खुद को हिंदू विरोधी साबित होने नहीं देना चाहती. इसलिए नगर निगम शिमला चुनाव में जीत के तुरंत बाद सभी पार्षदों आस्था के केंद्र शिमला जाखू मंदिर में भगवान बजरंगबली की शरण में भेज दिया गया. यही नहीं, हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने फोटो ट्वीट भी की और साथ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और कर्नाटक कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट को टैग भी कर डाला. शिमला से यह सीधा संदेश कर्नाटक की जनता तक पहुंचाने की कोशिश की गई.
शिमला से कर्नाटक पहुंचेगी सियासी हवा?
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रियंका गांधी ने भी नगर निगम शिमला चुनाव की जीत को कर्नाटक चुनाव के साथ जोड़ने की कोशिश की. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- 'शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत कांग्रेस की नीतियों एवं जनता के प्रति समर्पण की जीत है. इस भरोसे के लिए हम शिमला की जनता का धन्यवाद करते हैं. कड़ी मेहनत करने वाले सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मेरी शुभकामनाएं. कर्नाटक में भी कांग्रेस ने प्रगति की गारंटियां दी हैं. कर्नाटक की जनता से अपील है कि भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाइए.'
अब कर्नाटक की बारी- राहुल गांधी
ठीक इसी तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी नगर निगम शिमला चुनाव की जीत को कर्नाटक के साथ जोड़ने की कोशिश की. पूरे देश से अलग हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए चुनाव परिणाम सबसे अलग नजर आ रहे हैं. साल 2021 में उपचुनाव, साल 2022 में विधानसभा चुनाव और साल 2023 में नगर निगम शिमला चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया- 'शिमला के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के लिए प्रदेश के हमारे सभी बब्बर शेर कार्यकर्ताओं, नेताओं, सदस्यों को बहुत बधाई. हिमाचल सरकार ने लोगों को दी गारंटी पूरी कर वादा निभाया, तभी शिमला ने कांग्रेस पर भरोसा जताया. अब कर्नाटक में, 5 गारंटी की बारी है.'
चुनाव जीतना क्यों है जरूरी?
कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने हैं. परिणाम 13 मई को आएंगे. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कर्नाटक प्रचार में उतरे हैं. पूरे देश की निगाहें कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं. क्योंकि कांग्रेस-बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए जीतना महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह न केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है, बल्कि इससे हिमाचल में जीत के रिकॉर्ड को आगे बढ़ाने के साथ आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने की चुनौती है.
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