Shimla Kasumpti Masjid: हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों का विवाद लगातार गहराता जा रहा है. एक के बाद एक आगे आकर लोग अपने इलाके की मस्जिदों को अवैध बताकर कार्रवाई की मांग उठा रहे हैं. संजौली के बाद चर्चा में आई कसुम्पटी मस्जिद का मामला भी एक बार फिर सुर्खियों में आया है. कसुम्पटी वार्ड की पार्षद रचना शर्मा, पूर्व पार्षद और डिप्टी मेयर रहे राकेश शर्मा के साथ कई लोगों ने शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप और नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री से मुलाकात की. इन सभी लोगों ने मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को हटाने की मांग की है. साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर शुक्रवार को यहां नमाज पढ़ी गई, तो बड़ा आंदोलन होगा.
जिला अदालत ने चल रहा है मामला
गौर हो कि नगर निगम शिमला पहले ही इस निर्माण को अवैध करार दे चुका है. इसे हटाने के भी आदेश दिए जा चुके हैं. नगर निगम आयुक्त के इस निर्णय को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई है. यह मामला अभी जिला अदालत में विचाराधीन है. इस मामले में अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होनी है. नगर निगम शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर और स्थानीय पार्षद रहे राकेश शर्मा ने दावा किया है कि यह जमीन केंद्र सरकार की है. इसके कागज भी उनके पास उपलब्ध हैं. उन्होंने यह कागज जिला उपयुक्त अनुपम कश्यप और नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री को भी उपलब्ध करवाए हैं.
इलाके के लोग चिंता में हैं- राकेश शर्मा
पूर्व डिप्टी मेयर राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि यह मकान वक्फ बोर्ड ने मुमताज बेगम को घर बनाने के लिए दिया था. इसके बाद महिला के बेटे ने इस जमीन को बेच दिया. जमीन खरीदने वाले ने मस्जिद बना दी, जबकि यहां पर मस्जिद बनाने की अनुमति ही नहीं है. उन्होंने इस पूरे मामले के जल्द से जल्द निपटारे की मांग उठाई है. राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि यहां बाहरी राज्यों से लोग आते हैं. यह भी स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.