Janmashtami 2023: हिमाचल का यह राज परिवार है भगवान श्री कृष्ण की 123वीं पीढ़ी, राजनीति में भी है मजबूत पकड़
राजनीति धर्म के इर्द-गिर्द ही घूमती है. विचारधारा के मुताबिक दल भगवान पर हक जताते हैं, लेकिन हिमाचल की राजनीति में एक परिवार ऐसा है जो भगवान श्री कृष्ण की 123वीं पीढ़ी है. यह परिवार है वीरभद्र सिंह का.
Shri Krishna Janmashtami: देशभर में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर मनाए जाने वाली जन्माष्टमी की धूम है. पूरा देश भगवान श्री कृष्ण के रंग में सराबोर है. इस बीच हम आपको भगवान श्री कृष्ण के वंशजों के बारे में बताने जा रहे हैं. भगवान श्री कृष्ण के यह वंशज उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश में हैं. खूबसूरत पहाड़ों में भगवान श्री कृष्ण के वंशज रहते हैं. खास बात यह है कि प्रदेश की राजनीति में भी इस परिवार का वर्चस्व है. हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के परिवार की.
भगवान श्री कृष्ण के वंशज
वीरभद्र सिंह भगवान श्री कृष्ण की 122वीं पीढ़ी के सदस्य हैं. उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह भगवान श्री कृष्ण की 123वीं पीढ़ी के सदस्य होने के साथ प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री भी हैं. बुशहर के पदम पैलेस में रखी गई वंशावली इस बात की तस्दीक करती है. खास बात है कि पिता वीरभद्र सिंह के बाद बेटे विक्रमादित्य सिंह का जलवा भी हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जोरों पर है. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के सुपुत्र प्रद्युम्न ने सोनितपुर पर राज किया
सोनितपुर बन गया सराहन
बाद में यही सोनितपुर सराहन हो गया और सराहन की बुशहर रियासत के सदस्य हैं वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह. 8 जुलाई 2021 को लंबी बीमारी के बाद वीरभद्र सिंह का निधन हो गया था. भगवान श्री कृष्ण की 121वीं पीढ़ी के सदस्य पदम सिंह की नौवीं पत्नी शांति देवी के बेटे हुए वीरभद्र सिंह वीरभद्र सिंह ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. वे हिस्ट्री की प्रोफेसर बनना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति की रहा पकड़ ली.
वीरभद्र सिंह का सियासी सफर
वीरभद्र सिंह ने साल 1962 में पहली बार महासू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वीरभद्र सिंह पांच बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक रहे. साल 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले वीरभद्र सिंह ने 1967, 1971, 1980 और 2009 में भी सांसद बने. इस दौरान वे पहले केंद्र की इंदिरा गांधी और फिर मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे. वे हिमाचल की महासू और मंडी लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं.
साल 1983 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
साल 1983 में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सीधे हिमाचल के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी. इसके बाद उन्होंने साल 1983 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007, 2012 और 2017 में भी विधायक बने. रोहड़ू, जुब्बल, शिमला ग्रामीण और अर्की विधानसभा सीटों से वे विधायक चुने गए. वीरभद्र सिंह ने हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष और विधानसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली. अब वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद होने के साथ हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और बेटे विक्रमादित्य सिंह दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद सरकार में लोक निर्माण मंत्री.