Himachal Pradesh: शादी में बीयर परोसी तो लगेगा 50 हजार का जुर्माना, कोलंग पंचायत का फैसला
Himachal Pradesh: लाहौल घाटी की कोलंग पंचायत में शादी-मुंडन समारोह के साथ अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बीयर परोसने पर रोक लगी है. ग्राम पंचायत ने इसे लेकर बड़ा फैसला लिया है.
Himachal News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की लाहौल घाटी की कोलंग (Kolang) पंचायत ने बड़ा फैसला लिया गया है. कोलंग पंचायत में ग्राम सभा की बैठक में अहम फैसला लेते हुए शादी, मुंडन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में बीयर पर पर रोक लगा दी गई है. नियमों का उल्लंघन करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. कोलंग पंचायत ने नाबालिगों को नशे की गिरफ्त में आने से रोकने के लिए समारोह में बीयर परोसने पर यह रोक लगाई है.
लाहौल घाटी में युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जिला पुलिस अपनी तरफ से खेल गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. इस बीच अब ग्राम पंचायत का फैसला युवाओं को नशे से दूर रखने की दृष्टि से लिया गया है. ग्राम पंचायत ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी समारोह में बीयर परोसी जाएगी, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. उल्लंघनकर्ता को जुर्माना भरना पड़ेगा. इसके अलावा ग्राम पंचायत में मृत्यु के बाद शोक संतप्त परिवार से मिलने का समय भी तय किया है.
फैसले की हो रही जमकर तारीफ
पंचायत ने मृत्यु के दौरान दिए जाने वाले दागनांग यानी वर्तन को भी 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया है. इसके अलावा रिश्तेदारों के लिए यह राशि एक हजार रुपये से बढ़ाकर एक हजार 500 रुपये कर दी गई है. कोलंग पंचायत प्रधान तंजिन मेतोंग ने बताया कि स्थानीय लोग लंबे समय से पंचायत से बीयर बंद करने की मांग कर रहे थे. युवाओं को नशे की चपेट से बचाने के लिए ग्राम पंचायत की ओर से यह फैसला लिया गया है. लाहौल घाटी में युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए इस पहल की हर जगह प्रशंसा हो रही है.
जनजातीय इलाकों की सभ्यता बचाने के अहम कदम
इससे पहले जिला किन्नौर में भी की ग्राम पंचायत में भी इस तरह के आदेश पारित किए जा चुके हैं. यह आदेश पारंपरिक शादियों में पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते चलन को रोकने के लिए लिए गए थे. आधुनिक दौर सोशल मीडिया का दौर है. इस आधुनिक दौर में लगातार पाश्चात्य सभ्यता के साथ शहरीकरण का प्रभाव जनजातीय इलाकों में देखने के लिए मिल रहा है. इस बीच जनजातीय सभ्यता को बचाने के लिए काम करने वाले एक्सपर्ट लगातार चिंता जाहिर कर रहे हैं. जहां एक ओर यह एक्सपोर्ट आधुनिकीकरण को जरूरी मानते हैं.
वहीं दूसरी ओर परंपरा को बचाए रखने पर भी जोर दे रहे हैं. ऐसे में ग्राम पंचायत को इस तरह के कड़े फैसले लेकर अपनी सभ्यता को बचाने के लिए कदम उठाने पड़ रहे हैं. यही वजह है कि इस तरह के कदमों की प्रदेश भर में प्रशंसा भी हो रही है.