Himachal Pradesh News: भारत त्योहारों का देश है. यहां छोटे-छोटे कस्बों में अलग-अलग परंपराओं के तहत त्योहार मनाने का भी रिवाज है. हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है. यहां साक्षात भगवान देवी-देवताओं का वास है. ऐसे में लोगों का देवी-देवताओं के साथ भूत-प्रेत पर भी विश्वास है. माघ के महीने में लोग भूत प्रेत से बचने के लिए हालडा उत्सव मनाते हैं. कहा जाता है कि माघ महीने में देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं. ऐसे में इलाके में भूत-प्रेतों का खतरा बढ़ जाता है. 


हाथों में मशाल लेकर पूरे गांव में जुलूस 
इन भूत-प्रेतों से बचने के लिए लाहौल-स्पीति की पट्टन घाटी में हालडा उत्सव मनाया गया. यहां ग्रामीणों ने बर्फ के बीच रात भर आग जलाकर भूत प्रेतों को भगाने का काम किया. इस दौरान ग्रामीणों ने हाथों में मशाल लेकर पूरे गांव में एक जुलूस निकाला. इस जुलूस में 'हाल डा हो, हाल डा हो' के नारे लगाकर पूरे गांव में घूमा जाता है. यह एक परंपरा है और सालों से इसी तरह चली आ रही है.






सालों बाद जीवंत है पहाड़ों की परंपरा
लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश का सुदूर जनजातीय जिला है. यहां लोग अपनी परंपराओं को जीवंत रखने के लिए इन त्योहारों को आज भी पूरे उत्साह के साथ मना रहे हैं. लाहौल-स्पीति की पट्टन घाटी में हालडा उत्सव की जमकर धूम देखने को मिली. इस उत्सव को लाहौल-स्पीति में माघ पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है. पूर्णमासी (पूर्णिमा) पूरे महीने में एक बार आती है. इस दिन आसमान में पूरा चांद नजर आता है. भूत-प्रेतों को भगाने के साथ हालडा उत्सव को खुशहाली और समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस तरह गांव भर में मशाल लेकर घूमने से भूत-प्रेत भागते हैं और घर-परिवार में खुशहाली आती है.


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