Himachal Lok Sabha Elections 2024: हिमाचल प्रदेश में चुनावी रण मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही लड़ा जाता रहा है. तीसरा मोर्चा हिमाचल प्रदेश में लगभग हमेशा ही विफल रहा है. इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने भी हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीट पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है. बसपा ने शिमला से अनिल कुमार, मंडी से प्रकाश चंद्र भारद्वाज, हमीरपुर से हेम राज और कांगड़ा से रेखा रानी को चुनावी मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी की नजर मुख्य रूप से समाज के वंचित और पिछड़े वर्ग के वोट पर है.


हिमाचल प्रदेश में बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन साल 2007 के विधानसभा चुनाव में रहा. जब बसपा ने 67 सीटों पर चुनाव लड़कर 7.26% वोट हासिल किए और कांगड़ा विधानसभा सीट से संजय चौधरी पार्टी के इकलौते विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. साल 2017 में संजय चौधरी ने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के पवन काजल से चुनाव हार गए. इसके बाद साल 2012 और साल 2017 में बसपा का प्रदर्शन लगातार गिरता रहा. बसपा ने साल 2012 में 66 और साल 2017 में 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन कोई प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सका. पार्टी का वोट शेयर साल 2012 में 1.7% और साल 2017 में 0.5% तक गिर गया.


बहुजन समाज पार्टी को 0.9 फीसदी वोट


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 0.9 फीसदी वोट मिला. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 69.7 फीसदी, जबकि कांग्रेस ने 27.5 फ़ीसदी वोट हासिल किया था. साल 2019 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए ऐतिहासिक था, क्योंकि बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में सभी 68 विधानसभा क्षेत्र में लीड हासिल की थी. ऐसा साल 2019 से पहले किसी भी चुनाव में नहीं हुआ था.


हिमाचल में तीसरे दल की स्वीकार्यता नहीं


हिमाचल प्रदेश की जनता में तीसरे दल को लेकर स्वीकार्यता न के बराबर रही है. लोकसभा चुनाव में मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी के ही सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे हैं. साल 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस की टिकट पर धनीराम शांडिल ने जीत हासिल की. साल 1998 में पंडित सुखराम ने जब हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया था. तब उन्हें पांच सीटों पर अपने विधायक बनने में सफलता मिली थी. इनमें मनसा राम, रामलाल मारकंडा, धनीराम शांडिल, महेंद्र ठाकुर और प्रकाश चौधरी विधायक बने थे. 


हिमाचल विकास कांग्रेस ने ही बाद में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया और प्रो. प्रेम कुमार धूमल पहली बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने. साल 1998 के इस अपवाद को छोड़ दिया जाए, तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा रहा है. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के लिए भी हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों की चढ़ाई करना आसान नहीं रहने वाला है.


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