Aam Aadmi Party Himachal: नाम भले ही आम आदमी पार्टी हो, लेकिन हिमाचल प्रदेश में तो पार्टी का आम आदमी से कोई नाता ही नजर नहीं आ रहा. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बुरी तरह हार का मुंह देखने वाली आम आदमी पार्टी प्रदेश की राजनीति से गायब हो गई है. कुल 68 में से 60 सीटों पर जीत का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर जमानत जब्त हुई. इसके बाद पार्टी नेता ग्राउंड जीरो से गायब ही हो गई. जहां एक तरफ कांग्रेस-भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में डटे हुए हैं और एक-दूसरे पर लगातार हमलावर नजर आ रहे हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी पहाड़ी राज्य की इस सियासी फिल्म से नदारद है.
विधानसभा चुनाव में मिली थी बुरी हार
हिमाचल प्रदेश की सियासी फिल्म में एक के बाद एक क्लाइमेक्स आ रहे हैं और यहां आम आदमी पार्टी का नाम तक नहीं है. बता दें कि आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी होने का दावा कर रही थी. पार्टी का दावा यह भी था कि विधानसभा चुनाव के लड़ाई भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच में है. कांग्रेस तो दूर-दूर तक नजर ही नहीं आ रही. अब चुनाव परिणाम आए, तो कांग्रेस ने तो 40 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता हासिल कर ली. लेकिन, आम आदमी पार्टी को बुरी तरह पर्दे के पीछे धकेल दिया. मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने शिमला के रिज मैदान पर मणिपुर हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया और प्रदेशस्तरीय इस आंदोलन में 25 कार्यकर्ताओं की संख्या भी नहीं जुट सकी. हिमाचल आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष सुरजीत ठाकुर का कहना है कि लोकसभा चुनाव की चारों सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी, लेकिन फिलहाल इसके लिए तो तैयारियां नजर आ नहीं रही हैं. यह बात अलग है कि अगर खानापूर्ति के चुनाव लड़ना हो, तो विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी तो खड़े की किए ही जा सकते हैं.
आपदा के बीच लापता आम आदमी पार्टी
बीते दिनों हिमाचल प्रदेश में भारी आपदा हुई. अब भी प्रदेश में भारी बारिश का दौर जारी है. बारिश की वजह से एक के बाद एक तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं. इस बीच जहां सत्तापक्ष कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा जनता के बीच में है. वहीं, आम आदमी पार्टी का आपदा के बीच भी कोई पता ही नहीं है. अब लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर यह कैसी आम आदमी पार्टी हुई, जिसका आम आदमी से कोई सरोकार ही न हो? हालांकि यह बात भी सच है कि हिमाचल प्रदेश में तीसरे मोर्चे का कभी कोई अस्तित्व नहीं रहा. साल 1998 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए, तो कभी हिमाचल में तीसरे मोर्चे को सफलता मिली ही नहीं. शायद आम आदमी पार्टी इतिहास को देखकर अपना भविष्य अंधकार में महसूस कर रही है. यदि आम आदमी पार्टी इसी तरह हिमाचल प्रदेश की सियासत से गायब रही, तो आने वाला वक्त भी पार्टी के लिए अनुकूल नहीं रहने वाला है. प्रदेश भले ही छोटा हो, लेकिन बूंद बूंद से ही घड़ा भरता है और यह सियासी घड़ा ही नेता को मजबूती से खड़ा करता है.