Himachal News: हिमाचल प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के सामने आए दिन नई परेशानी खड़ी हो जाती है. मुख्यमंत्री के सामने अब एक और नई समस्या आ खड़ी हुई है. सुजानपुर से विधायक राजिंदर राणा (Rajinder Rana) ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है. इस पोस्ट में राणा का दर्द साफ तौर पर झलकता हुआ नजर आ रहा है. राणा ने महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए हिमाचल कांग्रेस में भी महाभारत की चर्चाओं को हवा दे दी है.
'एक जिद ने महाभारत रच दिया'
राजिंदर राणा ने लिखा- जो विवादों से दूर रहते हैं, वही दिलों पर राज करते हैं. जो विवादों में उलझ जाते हैं, वे अक्सर दिलों से भी उतर जाते हैं. महाभारत का प्रसंग देखिए- पांडवों ने सिर्फ पांच गांव ही तो मांगे थे और दुर्योधन ने सुई की नोक के बराबर भी जमीन देने से इनकार कर दिया था. एक ज़िद ने महाभारत रच दिया. सुकून भरी जिंदगी के लिए विवादों से दूरी, है बेहद जरूरी. राणा की इसी पोस्ट पर मंत्री पद की दौड़ में शामिल विधायक सुधीर शर्मा ने भी कमेंट किया है सुधीर शर्मा ने लिखा- तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान. भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण. यानीतु लसीदास जी कहते हैं- समय ही व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ और कमजोर बनता है. अर्जुन का वक्त बदला, तो उसीके सामने भीलों ने गोपियों को लूट लिया. जिसके गांडीव की टंकार से बड़े बड़े योद्धा घबरा जाते थे.
राणा के मंत्री पद से दूरी की क्या वजह?
हिमाचल प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा सूई की नोक राणा किसी परिचय का मोहताज नहीं है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का पीढ़ी परिवर्तन करने वाले राणा अपनी ही पार्टी के भीतर संघर्ष कर रहे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुजानपुर सीट से राणा ने भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हरा दिया था. अब जिस कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी को इतना बड़ा झटका दिया हो, उसी नेता की सियासत अपनी ही पार्टी में हिचकोले खा रही है. राणा की प्रतिभा सिंह कैंप के साथ दूरी भी किसी से छिपी नहीं है. जानकारों की माने तो प्रतिभा सिंह कैंप के साथ राणा की नजदीकी ही उन्हें मंत्रिमंडल से दूर कर रही है.
क्षेत्रीय संतुलन कितना बड़ा फैक्टर?
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से संबंध रखते हैं. राणा किसी भी इसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है. ऐसे में क्षेत्रीय संतुलन के नाम पर भी राणा को मंत्रिमंडल से दूर रखने की कोशिश की जा रही है. इस बीच राणा के समर्थकों का सवाल यह है कि क्षेत्रीय असंतुलन तो जिला कांगड़ा में भी है. कल 15 में से 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाने वाले कांगड़ा के पास सिर्फ एक ही मंत्री पद है. प्रो. प्रेम कुमार धूमल जब मुख्यमंत्री रहे, तब उन्होंने खुद भी हमीरपुर जिला से ही ईश्वर दास धीमान को शिक्षा मंत्री बनाया. ऐसे में संतुलन को लेकर सवाल उठाना सही नहीं है. वहीं, इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कंवर का कहना है कि सियासी हलचल को देखकर ऐसा लगता है कि प्रदेश में महाभारत का आगाज हो चुका है. कांग्रेस के लोग अपने ही साथियों को गीता का सार पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. जिस तरह महाभारत में पांडवों ने पांच गांव की मांग की थी, उसी तरह कांग्रेस के विधायक भी ऐसे ही कुछ गांव की मांग कर रहे हैं, जो पूरी नहीं हो रही. इससे युद्ध का आगाज हो सकता है. साल 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस को युद्ध थामने के लिए जरूरी कदम उठाने जरूरी हैं.
भाजपा में शामिल होने की भी थी चर्चा!
साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राजिंदर राणा के वापस भाजपा में शामिल होने की चर्चा भी जोरों पर थी. हालांकि सूत्रों ने बताया कि उनके अपने ही राजनीतिक गुरु रहे प्रो. प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के वीटो की वजह से राणा को भाजपा में शामिल नहीं करवाया गया. चुनाव से पहले हिमाचल कांग्रेस ने चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए. इनमें दो कार्यकारी अध्यक्षों को तो भाजपा ने तोड़कर पार्टी में शामिल करवा लिया. कार्यकारी अध्यक्ष रहे हर्ष महाजन और पवन काजल दोनों ही भाजपा में शामिल हुए. इसके बाद तीसरे कार्यकारी अध्यक्ष राजिंदर राणा के भी भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ने की चर्चा रही, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.