Lok Sabha Elections 2024: ‘मामा’ बनकर सिरमौर में BJP की जीत का डंका बजायेंगे जयराम! या आखिरी वक्त पर कांग्रेस कर देगी खेल?
सिरमौर में हाटी समुदाय को 56 साल के लंबे संघर्ष के बाद जनजातीय दर्जा मिल चुका है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इसका पूरा श्रेय लेने के मूड में है. हालांकि जानकारों की नजर कांग्रेस की नई चाल पर है.
Hati Community ST Status: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी इलाके में रहने वाले हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिल चुका है. 56 साल के लंबे संघर्ष के बाद भारतीय समुदाय को की मांग पूरी हुई. इस मांग को पूरा करने में तत्कालीन भाजपा सरकार ने अहम भूमिका निभाई. भाजपा ने अपनी डबल इंजन की सरकार का फायदा उठाते हुए केंद्र से भी प्रक्रिया में तेजी लाई और हाटी समुदाय को उनका अधिकार दिल दिया.
हालांकि यह अधिकार मिलने में कुछ देरी हुई. आठ महीने की देरी से भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में खासा नुकसान हुआ. जिला सिरमौर में विधानसभा की कुल पांच सीट हैं. इनमें तीन सीट पर हाटी समुदाय का प्रभाव है. इसके अलावा जिला सोलन और जिला शिमला की कई सीटों पर भी सिरमौर के हाटी बसते हैं. ऐसे में यहां भी यह अपना प्रभाव रखते हैं, लेकिन इनका ज्यादा प्रभाव शिलाई, रेणुका जी और पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में है. विधानसभा चुनाव में जिला की कुल पांच सीट में से भाजपा सिर्फ दो पर ही जीत हासिल कर सकी.
भाजपा को कैसे उल्टा पड़ा अपना ही दांव?
भारतीय जनता पार्टी सभी पांच सीटों पर जीत की उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. भाजपा का दांव चुनाव में उल्टा पड़ गया. अव्वल तो भाजपा शिलाई और रेणुका जी की सीट हार गई. हालांकि सीट पर कांग्रेस की जीत का मार्जिन बहुत अधिक नहीं रहा. पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस के बागी नेता गंगूराम मुसाफिर के चुनाव लड़ने की वजह से भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप की जीत हो सकी. इसके अलावा जानकारी मानते हैं कि नाहन विधानसभा क्षेत्र में गुर्जरों की नाराजगी की वजह से भाजपा को सीट गंवानी पड़ी. यहां गुर्जर समुदाय भी जनजातीय श्रेणी में आता है और हाटी समुदाय के जनजातीय श्रेणी में शामिल होने की चर्चाओं के बीच ही गुर्जर समुदाय ने भाजपा के खिलाफ वोट किया. इसी के चलते डॉ. बिंदल को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. अब भले ही भाजपा विधानसभा चुनाव में इसका लाभ न ले सकी हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा इसका पूरा फायदा लेना चाह रही है.
सिरमौर की पांच सीट का परिणाम
(2022 विधानसभा चुनाव)
• शिलाई में कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन चौहान सिर्फ 488 वोट से जीते. उन्होंने भाजपा के बलदेव तोमर को हराया. हर्षवर्धन को 32093 और बलदेव तोमर को 31711 वोट मिले.
• रेणुका जी से 860 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार जीते. उन्होंने भाजपा के नारायण चौहान को हराया. विनय कुमार ने 28642 और नारायण सिंह को 27782 वोट मिले.
• नाहन में कांग्रेस के कांग्रेस के अजय सोलंकी 1639 वोट से जीते. उनसे भाजपा के दिग्गज डॉ. राजीव बिंदल हार गए. सोलंकी को 35291 और डॉ. बिंदल को 33652 वोट मिले.
• पांवटा साहिब से भाजपा के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी जीते. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कांग्रेस के प्रत्याशी किरनेश जंग को 8596 वोटों से हराया. सुखराम चौधरी को 31008 और किरनेश को 22412 वोट मिले.
• पच्छाद में भाजपा प्रत्याशी रीना कश्यप 3857 मतों से जीतीं. उन्होंने कांग्रेस की दयाल प्यारी और निर्दलीय उम्मीदवार गंगूराम मुसाफिर को हराया. रीना को 21215, दयाल प्यारी को 17358 और गंगूराम मुसाफिर को 13187 वोट मिले. यहां गंगूराम मुसाफिर बागी होकर चुनाव ना लड़ते, तो परिणाम कुछ और होते.
'मामा-मामा कहकर विपक्ष में बिठा दिया'
बीते रविवार को हाटी समुदाय की ओर से आयोजित धन्यवाद कार्यक्रम में भी मौजूद लोगों से भी लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की कसर को पूरा करने की अपील की गई. केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष प्रो. अमी चंद ने यहां कहा कि विधानसभा चुनाव में उनकी कंपार्टमेंट आई, लेकिन अब वह लोकसभा चुनाव डिस्टिंक्शन के साथ पास करेंगे. शब्दों का खेल कर वे भाजपा के पक्ष में वोट मांग रहे थे. हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने तो स्पष्ट शब्दों में यह कह दिया कि हाटी समुदाय के लोगों ने जयराम ठाकुर को अपना मामा तो बना दिया, लेकिन मामा बनकर भी उन्हें विपक्ष में ही आकर बैठना पड़ा. बिंदल ने भाजपा के हाथ मजबूत करने के लिए लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष में ही वोट करने की अपील कर डाली. धन्यवाद कार्यक्रम के दौरान 'सिरमौर का मामा कैसा हो, जयराम ठाकुर जैसा हो' के नारे भी जमकर सुनाई दिए.
SC के लोगों को अधिकार खत्म होने का डर
इस सबके बीच कांग्रेस बेहद गहनता के साथ मामले पर नजर बनाए हुए है. कांग्रेस नेताओं को पहले ही आशंका थी कि भाजपा का दांव उन पर ही भारी पड़ सकता है. दरअसल, हाटी समुदाय में के सामान्य श्रेणी से संबंध रखने वाले लोगों को जनजातीय दर्जा मिला है. यहां अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले भाजपा के इस कदम से नाराज चल रहे हैं. अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले लोगों को डर है कि अब उनके एट्रोसिटी के अधिकार खत्म हो जाएंगे. अलग-अलग मंचों से अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले लोगों ने अपनी मांग रखी भी, लेकिन उनकी मांग के विरुद्ध सामान्य श्रेणी के लोगों को जनजाति का दर्जा मिल गया.
क्या होगा कांग्रेस का अगला कदम?
हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलने का बिल जब राज्यसभा पहुंचा, तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस बिल का समर्थन किया. कांग्रेस यह समझ रही थी कि अगर बिल का विरोध किया गया, तो आने वाले चुनाव में उन्हें यह कम भारी पड़ सकता है. कांग्रेस अभी भी हिमाचल कांग्रेस अभी भी वेट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रही है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से बयान में स्पष्ट किया गया है कि उन्होंने कभी भी हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का विरोध नहीं किया. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नई रणनीति पर कम कर रही है. जिस वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने से नुकसान हुआ है. कांग्रेस उसे एकजुट कर लोकसभा चुनाव में भुनाकर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी. हालांकि अभी चुनाव में करीब आठ महीने का वक्त बचा हुआ है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के सियासत किस करवट बैठेगी, यह तो वक्त ही तय करेगा.