Himachal Politics: किसी भी राजनीतिक दल के लिए गुटबाजी (Factionalism) बड़ी समस्या होती है. सियासी दलों के आकार के मुताबिक उनमें गुटबाजी होना स्वभाविक भी होता है, लेकिन हिमाचल कांग्रेस (Himachal Congress) में यह समस्या कुछ बड़े स्तर पर नजर आती है. विधानसभा चुनाव में जीत के बाद हिमाचल कांग्रेस का आत्मविश्वास चरम पर है, लेकिन गुटबाजी अब भी बरकरार है.


पिछले लोकसभा चुनाव में बेहतरीन रहा हिमाचल बीजेपी का प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस के सामने हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है. साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लगातार करारी शिकस्त मिल चुकी है. इन दोनों ही चुनाव में बीजेपी ने चारों सीट पर जीत हासिल की है. हालांकि बाद में मंडी लोकसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. इसके पीछे वीरभद्र सिंह को लेकर भावनात्मक फैक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर आगे बढ़ेगी हिमाचल बीजेपी
हिमाचल बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी कमर कस ली है. जिला ऊना में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरु कर दी गई हैं. यहां डाटा प्रबंधन के साथ बूथ सशक्तिकरण को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. साथ ही हिमाचल बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव में उतरने की तैयारी भी कर ली है. ऐसे में सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त चेहरे के आगे हिमाचल कांग्रेस गुटबाजी के बीच कैसे कड़ी टक्कर दे सकेगी. हालांकि विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार के बावजूद कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन इसके पीछे हिमाचल प्रदेश के स्थानीय मुद्दों के हावी रहने की बड़ी वजह रही. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का बड़ा कारण गलत टिकट आवंटन भी रहा, जिसे अब बीजेपी लोकसभा चुनाव में दोहराने की गलती नहीं करेगी.


अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं और यहां बीजेपी कांग्रेस से आगे खड़ी नजर आ रही है. अब कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि हिमाचल प्रदेश में कद्दावर नेताओं के बीच गुटबाजी को पाटकर बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश की जाए क्योंकि बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा सशक्त चेहरा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए भी लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं रहने वाले हैं. यह पहली बार होगा, जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के चेहरे पर कांग्रेस चुनाव में उतरेगी. इससे पहले साल 2013 में जब वे हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब चुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के चेहरे पर लड़ा जाता रहा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने पार्टी के अंदर ही बैठे अपने प्रतिद्वंद्वियों से बचकर आगे बढ़ने की भी बड़ी चुनौती है.


हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए भी लोकसभा चुनाव में उतरना आसान नहीं रहने वाला है. भले ही बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा सशक्त नेतृत्व हो. बावजूद इसके हिमाचल बीजेपी के कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हतोत्साहित हैं. हिमाचल बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी कार्यकर्ताओं के हतोत्साहित होने की बात निकल कर सामने आई है. इस बीच हिमाचल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के जोश में विधानसभा चुनाव की जीत और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के चलते बढ़ोतरी हुई है. कुल-मिलाकर हिमाचल बीजेपी के सामने पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन और हिमाचल कांग्रेस के सामने विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की बड़ी चुनौती रहने वाली है.


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