Shimla News: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने देश के लोगों में स्वतंत्रता की अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिमला से भी गहरा नाता रहा. वे आजादी से पहले 10 बार शिमला की यात्रा पर आए. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मैनोर विला (Manor Ville) में ठहरते थे. यह राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. साल 1935 में महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. इसके बाद से मैनोर विला महात्मा गांधी का नियमित ठहराव स्थल बन गया था. मैनोर विला के पास साल 1970 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय बना.


एनएसयूआई कर रहा महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग


राजधानी शिमला के समरहिल में बने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग उठाई जा रही है. यह मांग छात्र संगठन एनएसयूआई की ओर से की गई है. इसे लेकर एनएसयूआई के छात्र नेता वीनू मेहता ने बताया कि वे कई बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति से भी मुलाकात कर चुके हैं. मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई और हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा स्थापित की गई है. चूंकि आजादी से पहले कई बार इस इलाके में महात्मा गांधी आए. ऐसे में एनएसयूआई के कार्यकर्ता चाहते हैं कि यहां महात्मा गांधी की प्रतिमा भी स्थापित की जाए.


ज्यादातर लोगों को नहीं है महात्मा गांधी के यहां आने की जानकारी- NSUI 


 एनएसयूआई के नेता वीनू मेहता का कहना है कि ज्यादातर लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है कि महात्मा गांधी आजादी से पहले यहां आया करते थे. मेहता ने कहा कि जब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की प्रतिमा लग सकती है, तो यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने पर भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर यहां राष्ट्रपिता की प्रतिमा स्थापित होगी, तो इससे लोगों को महात्मा गांधी के यहां आने की जानकारी मिल सकेगी.


मैनोर विला का क्या है इतिहास ?


साल 1935 के बाद महात्मा गांधी का शिमला यात्रा के दौरान ठहराव बनाया था. यह भवन कपूरथला रियासत के राजा हरनाम सिंह की बेटी राजकुमारी बीवी जी अमृत कौर का निवास स्थान रहा है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1935 से साल 1946 के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कई बार यहां आकर ठहरा करते थे. राजकुमारी अमृत कौर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सहयोगी रहीं और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी के कारण कई बार जेल भी गई. साल 1942 में उन्हें इसी भवन में नजरबंद कर दो साल के लिए रखा गया. देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद संविधान सभा की सदस्य भी बनीं और देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनना भी राजकुमारी अमृत कौर के हिस्से आया.


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