Himachal Pradesh: हिमाचल में उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को मिलेगा सिर्फ एक फीसदी ब्याज दर पर लोन, ऐसे उठा सकते हैं लाभ
Himachal CM Vidyarthi Protsahan Yojana: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
Mukhyamantri Vidyarthi Protsahan Yojana: अमूमन संसाधनों की कमी की वजह से कई बच्चे अपनी उच्च शिक्षा का सपना पूरा नहीं कर पाते. पैसों की कमी की वजह से बच्चों का पढ़ाई का सपना अधूरा रह जाता है, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) ने ऐसे बच्चों का सपना पूरा करने के लिए योजना की शुरुआत की है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने 'मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना' की घोषणा की है. इस योजना के तहत प्रदेश के गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
योजना के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में गरीब विद्यार्थियों को एक फीसदी की ब्याज दर पर शिक्षा ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके लिए तीन लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को एक फीसदी ब्याज पर वित्तीय संस्थानों या बैंकों के माध्यम से शिक्षा ऋण उपलब्ध करवाने का काम होगा. इस योजना के तहत सहभागिता संस्थानों और बैंक से विद्यार्थी ले सकेंगे. इसमें उन्हें ट्यूशन फीस, घर, किताबें और शिक्षा से जुड़े अन्य खर्च करने के लिए मदद मिलेगी.
शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे
इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, पीएचडी, आईटीआई के पाठ्यक्रम, पॉलिटेक्निक, बी-फार्मेसी, नर्सिंग, जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी (जीएनएम) समेत कई व्यवसायिक पाठ्यक्रम इस योजना में शामिल होंगे. योजना का मुख्य उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि वित्तीय संसाधनों के अभाव में राज्य में कोई भी गरीब बच्चा उच्च और व्यवसायिक शिक्षा से वंचित न रहे.
गरीब परिवार के बच्चों को मिलेगी मदद
इस योजना के बारे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि एक प्रतिशत ब्याज दर सिर्फ उनमें जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के लिए है, ताकि विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हों. राज्य सरकार का संकल्प है कि धन की कमी के कारण कोई भी विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित न रहे. उन्होंने कहा कि योजना को अंतिम रूप देने के लिए शिक्षा विभाग प्रयासरत है. इस योजना से गरीब विद्यार्थियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच और उनकी क्षमता का सही उपयोग सुनिश्चित होगा. साथ ही इससे उनकी आकांक्षाओं को पूर्ण करने में भी मदद मिलेगी.
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