Shimla Nagar Nigam: नगर निगम शिमला को मिले 5 नए मनोनीत पार्षद, जानें क्या होगा इनका काम?
नगर निगम शिमला को पांच नए मनोनीत पार्षद मिल गए हैं. शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने मनोनीत पार्षदों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस दौरान कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी मौजूद रहे.
MC Shimla Nominated Councillors: नगर निगम शिमला को पांच नए मनोनीत पार्षद मिल गए हैं. उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने बचत भवन में नगर निगम शिमला के पांच मनोनीत पार्षदों अश्वनी कुमार सूद, गोपाल शर्मा, विनोद कुमार भाटिया, गीतांजली भागड़ा और राज कुमार शर्मा को शपथ दिलाई. उन्होंने इन पार्षदों को बधाई दी और शिमला नगर निगम के विकासात्मक कार्यों में सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया. इस मौके पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह, महापौर सुरेन्द्र चौहान, उप महापौर ऊमा कौशल, अन्य पार्षद, नगर निगम आयुक्त आशीष कोहली और संयुक्त आयुक्त बाबू राम शर्मा भी मौजूद रहे.
सरकार का आभार किया व्यक्त
यह पार्षद हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से मनोनीत किए जाते हैं. मनोनीत पार्षदों ने शपथ लेने के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेसी आलाकमान का आभार व्यक्त किया. साथ ही मनोनीत पार्षदों ने शिमला शहर के विकास के लिए बढ़-चढ़कर भाग लेने की भी बात कही. पार्षदों ने दावा किया है कि वे कांग्रेस पार्टी की ओर से जताए गए विश्वास पर खरा उतरेंगे और जनता की सेवा में 5 साल का वक्त बिताएंगे.
अब 39 हो गई पार्षदों की संख्या
नगर निगम शिमला 34 चयनित पार्षदों के साथ अब पांच मनोनीत पार्षद भी शामिल हो गए हैं. नगर निगम शिमला में अब पार्षदों की कुल संख्या 39 हो गई है. इनमें कांग्रेस के 24 चयनित और 5 मनोनीत पार्षद भी शामिल हैं. इसके अलावा नगर निगम शिमला में भारतीय जनता पार्टी के 9 और माकपा का एक पार्षद शामिल है. प्रदेश सरकार की ओर से मनोनीत पार्षदों को शहर के विकास को आगे बढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाता है. सरकार उन वार्डों से पार्षदों को मनोनीत करती है, जहां सरकार के अपने उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा होता है.
समन्वय स्थापित कर आगे बढ़ने की चुनौती
हालांकि सुक्खू सरकार ने ऐसे वार्डों से तीन पार्षद नियुक्त किए हैं, जहां पहले ही कांग्रेस के पार्षद जीत कर आए हुए हैं. ऐसे में चयनित पार्षद और मनोनीत पार्षद के सामने समन्वय और सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ने की चुनौती रहने वाली है. कांग्रेस सरकार ने 15 दिन के छोटे से वक्त में ही मनोनीत पार्षदों को सदन में भेज दिया है. इससे पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने करीब ढाई साल बाद मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति की थी.