Shimla News: हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखने वाले शारदीय नवरात्रि (Navratri 2023) की शुरुआत हो चुकी है. देश भर में नवरात्रि की धूम है. हिमाचल प्रदेश में भी हर्ष और उल्लास के साथ नवरात्रि का आगाज हुआ. शिमला स्थित मां तारा देवी (Tara Devi Temple) में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी तारा देवी पहुंचकर माता के दर पर शीश नवाया. इस दौरान उनके साथ उनकी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर भी मौजूद रही.


सड़क को सुदृढ़ करने के लिए 50 लाख रुपए


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश की सुख समृद्धि के लिए मंगल कामना की है. साथ ही तारा देवी की तरफ जाने वाली सड़क को और बेहतर बनाने के लिए 50 लाख रुपए की घोषणा की. बता दें कि इन दिनों तारा देवी की तरफ जाने वाली सड़क को चौड़ा करने का भी काम चल रहा है. शिमला के शोघी से आनंदपुर होते हुए तारा देवी की तरफ सड़क मार्ग है. आनंदपुर से तारा देवी की तरफ जाने वाली सड़क बेहद संकरी है. इसे चौड़ा करने के बाद यहां आने वाले भक्तों को सुविधा मिलेगी. साथ ही ज्यादा भीड़ होने पर लगने वाले ट्रैफिक जाम से भी निजात मिलेगा.


तारा देवी मंदिर का इतिहास


तारा देवी मंदिर शिमला से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर है. शोघी की पहाड़ी पर बना यह मंदिर समुद्र तल से 1 हजार 851 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तक पहुंचे के लिए बेहतरीन सड़क सुविधा है, लेकिन कुछ लोग यहां वादियों की सुंदरता लेने के लिए मंदिर ट्रैकिंग कर के भी पहुंचते हैं. तारा देवी मंदिर का इतिहास करीब 250 साल पुराना है.


राजा भूपेंद्र सेन ने दान की थी 50 बीघा जमीन


कहा जाता है कि एक बार बंगाल के सेन राजवंश के राजा शिमला आए थे. एक दिन घने जंगलों के बीच शिकार खेलने से पैदा हुई थकान के बाद राजा भूपेन्द्र सेन को नींद आ गई. सपने में राजा ने मां तारा के साथ उनके द्वारपाल श्री भैरव और भगवान हनुमान को आम और आर्थिक रूप से अक्षम आबादी के सामने उनका अनावरण करने का अनुरोध करते देखा. सपने से प्रेरित होकर राजा भूपेंद्र सेन ने 50 बीघा जमीन दान कर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया. मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मां तारा की मूर्ति को वैष्णव परंपरा के अनुसार स्थापित किया गया था. यह मूर्ति लकड़ी से तैयार की गई थी. कुछ समय बाद राजा भूपेंद्र सेन के वंशज बलवीर सेन को भी सपने में तारा माता के दर्शन हुए. इसके बाद बलवीर सिंह ने मंदिर में अष्टधातु से बनी मां तारा देवी की मूर्ति स्थापित करवाई और मंदिर का पूर्ण रूप से निर्माण करवाया. मौजूदा वक्त में प्रदेश के लोगों के साथ देश भर के श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र है.


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