शिमला में है 201 साल पुराना मां काली का मंदिर, दर्शन मात्र से मिट जाते हैं सारे कष्ट
Navratri 2024: शिमला में माता काली को समर्पित 201 साल पुराना मंदिर है. मान्यता है कि यहां भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.
Kaibari Temple Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में माता काली को समर्पित 201 साल पुराना मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना साल 1823 में हुई थी. इस पवित्र स्थान को कालीबाड़ी के नाम से जाना जाता है. शिमला से जुड़े इतिहास के मुताबिक, कालीबाड़ी मंदिर मूल रूप से जाखू हिल पर रोथनी कैसल में बनाया गया था.
इसकी स्थापना बंगाली ब्राह्मण राम चरण जी ब्रह्मचारी ने की थी. यह शिमला के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. बाद में इस मंदिर को इसके मौजूदा स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया.
पूरी होती है हर मनोकामना
कालीबाड़ी में स्थापित देवी को श्यामला देवी के नाम से भी जाना जाता है. श्यामला के नाम से ही शिमला कभी नाम पड़ा था. मां काली के सच्चे भक्त यहां दिल से जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी जरूर होती है. यहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
नवरात्रि के मौके पर तो यहां भक्तों की भीड़ और भी ज्यादा बढ़ जाती है. नवरात्रि के दौरान शिमला के कालीबाड़ी में विशेष तौर पर पश्चिम बंगाल से धार्मिक पर्यटन के लिए भक्त यहां पहुंचते हैं.
कालीबाड़ी में 10 महाविद्याओं के चित्र
शिमला के कालीबाड़ी में 10 महाविद्याओं के चित्र भी लगाए गए हैं. इन महाविद्याओं के चित्र मशहूर चित्रकार सनत कुमार चटर्जी ने बनाए थे. एक बार जर्मनी से आए विद्वानों ने सनत कुमार चटर्जी को ऑयल पेंट से बने इन महाविद्याओं के चित्र के बदले ब्लैंक चेक ऑफर किया. इस ब्लैंक चेक को सनत चटर्जी ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि महाविद्याओं के चित्र उनके लिए धन का नहीं, बल्कि आस्था का विषय हैं.
इसके बाद ही सनत कुमार चटर्जी ने 10 महाविद्याओं के इन चित्रों को मशहूर कालीबाड़ी मंदिर को भेंट किया. सनत कुमार चटर्जी ने 10 महाविद्याओं के चित्रों में मां के अलग-अलग स्वरूपों को दर्शाया है. महाविद्या का अर्थ है- ग्रेट नॉलेज सिस्टम. यह ऐसी विद्या है, जिसमें सृष्टि का सार समाया हुआ है.
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