NHM Outsource Employees: हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए अफसरशाही किसी सिर दर्दी से कम नहीं है. जब नाम में ही 'शाही' हो, तो ठाट-बाट तो बनते ही हैं. ऐसी ही ठाट-बाट हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सचिव के भी हैं. नेशनल हेल्थ मिशन में आउटसोर्स पर तैनात कर्मचारियों के आरोप है कि स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें अपने घर पर काम करने के लिए मजबूर किया. जब कर्मचारियों ने घर पर निजी काम करने से इनकार किया, तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी गई.
नेशनल हेल्थ मिशन के कर्मियों के गंभीर आरोप
स्वास्थ्य विभाग के नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कार्यरत कर्मचारी अनिल कुमार, नीना देवी और सोहन लाल ने मामले में मुख्य बीते हफ्ते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी. कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सचिव से भी बार-बार नौकरी से न निकालने की अपील की, लेकिन बावजूद इसके कर्मचारी स्वास्थ्य सचिव ने इनकी एक बात नहीं मानी. कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें घर पर कपड़े धोने और बर्तन धोने के साथ साफ सफाई का काम करवाया गया. 7 जून को नेशनल हेल्थ मिशन के दफ्तर से राज्य सचिवालय में उनकी ट्रांसफर हुई. इसके बाद से लगातार वे शिमला के मैहली इलाके में स्थित स्वास्थ्य सचिव के घर पर काम कर रहे थे. इन कर्मचारियों ने नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर से भी इस बारे में बात की, लेकिन डायरेक्टर ने उच्च अधिकारियों के दबाव में मदद करने में असमर्थता जाहिर की.
आरोपों पर अधिकारी ने क्या कहा?
मामले में स्वास्थ्य सचिव एम.सुधा देवी का कहना है कि कर्मचारियों के आरोप निराधार हैं. यह कर्मचारी अपनी सेवाएं सही ढंग से नहीं दे रहे हैं. स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी ने कर्मचारियों की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. वहीं, शुक्रवार को ही हुए एक आर्डर में सोहन लाल, नीना देवी और अनिल कुमार को उनकी सेवाओं से रिलीव कर दिया है. आदेशों ने इन तीनों कर्मचारियों के स्थान पर अन्य कर्मचारियों की तैनाती के निर्देश भी दिए गए हैं. निर्देशों में यह तैनाती अगले दो दिन के भीतर करने के लिए कहा गया है.
सुक्खू सरकार की सिर दर्दी बनी अफसरशाही?
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अफसरशाही परेशानी बन गई है. स्वास्थ्य सचिव पर लगे आरोपों से पहले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अपने ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पर निर्देश न मानने के आरोप लगा चुके हैं. हाल ही में केंद्रीय मंत्री के दौरे से वरिष्ठ अधिकारियों के नदारद रहने पर भी सरकार सवालों के घेरे में खड़ी हो गई. ऐसे में जानकारों का मानना है कि प्रदेश की अफसरशाही पहले की सरकारों की तरह ही मौजूदा सरकार की परेशानी भी बढ़ाने का काम कर रही है.