Himachal Pradesh News: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के लोगों में भी मोटापा अब तेजी से बढ़ने लगा है. इसका मुख्य कारण खानपान, फिजिकल एक्टिविटीज का कम होना है. यही नहीं, सबसे ज्यादा बच्चे भी मोटापे का शिकार होने लगे हैं. बच्चों में मोटापे का मुख्य कारण टीवी अधिक देखना और जंक फूड का सेवन करना है. हिमाचल में मोटापे की स्थिति को लेकर आईजीएमसी अस्पताल (IGMC Hospital) में मेडिसिन विभाग में एचओडी डॉ. बलवीर वर्मा (Balbir Verma) के अनुसार, शहरों से अब गांव की तरफ मोटापा अधिक बढ़ने लगा है.


इसका कारण लोगों की ओर से खान-पान में बदलाव, फिजिकल एक्टिविटीज का कम करना है. पहले गांव में लोग काम किया करते थे और पीठ पर बोझ ढो कर लाते थे. इससे वह एकदम फिट रहते थे, लेकिन आज के दौर में गाड़ियां आ गई हैं. लोग अपना सामान गाड़ियों में ही लेकर आते हैं. गांव में भी सड़क बन गई है. लोग अब खेतों का सामान भी गाड़ी में ढो कर ले जाते हैं. ऐसे में अब उनकी तरफ से फिजिकल एक्टिविटीज कम होने से मोटापा बढ़ने लगा है.


10 से 12 साल के बच्चे मोटापे का शिकार


हिमाचल में 10 से 12 साल तक के बच्चों में भी मोटापा देखने को मिल रहा है. डॉ. बलवीर वर्मा ने बताया कि 40 से 50 साल के कई वृद्ध अभी भी फिट हैं जो नियमित व्यायाम करते हैं और फिजिकल एक्टिविटीज करते रहते हैं, लेकिन बच्चे मानो खेलना बिलकुल भूल ही गए हैं. जंक फूड, मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल, टीवी अधिक समय तक देखना और टीवी देखते-देखते जंक फूड खाना यह मोटापे का कारण बन रहा है. 12 साल के बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल होने लगा है, जो चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि बेकरी प्रोडक्ट लगातार खाना नुकसान देय है. यह मोटापे का एक मुख्य कारण है.


अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही एब्डोमिनल ओबेसिटी


खराब लाइफ स्टाइल और आरामपरस्त भरी जिंदगी ने न सिर्फ लाेगाें का वजन अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया, बल्कि एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी कई राेगाें का कारण बनने वाले पेट के माेटापे की चपेट में भी हिमाचल के लाेग आ चुके हैं. हिमाचल के लगभग 60 फीसदी लाेगाें में यह नुकसानदेह पेट का माेटापा आ चुका है. पेट का माेटापा देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्राें के लाेगाें के फीसदी से कहीं ज़्यादा है.


डायबिटीज और हृदय रोग को आमंत्रण


माेटापा डायबिटीज और हृदय रोग काे सीधा आमंत्रण देता है. माेटापे से मधुमेय राेग हाेने की संभावना सबसे ज़्यादा रहती है. वजन बढ़ने से आर्थराइटिस, दिल, लिवर और ब्लड प्रेशर की बीमारियां हो सकती हैं. माेटापे के कारण पेट संबंधी बीमारियां जिनमें गैस, बदहजमी और अपच की समस्या हर समय बनी रहती है. रात काे नींद न आना और डिप्रेशन में रहना भी इसके कारण हैं.


आईसीएमआर की रिपोर्ट में खुलासा 


पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में कठिन जीवन शैली के बावजूद हिमाचल के लोगों को डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापा जैसी बीमारियां जकड़ रही हैं. यह दावा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ताज़ा रिसर्च में हुआ है. आईसीएमआर की यह रिपोर्ट हाल ही में मेडिकल जरनल चिकित्सा पत्रिका 'द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी' में प्रकाशित हुई है. यह चिंता का विषय है कि प्रदेश में 13.5 फीसदी लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 11.4 फीसदी की है.


उत्तर प्रदेश में सबसे कम 4.8 फीसदी और गोवा में सबसे ज़्यादा 26.4 फीसदी लोग डायबिटीज से परेशान हैं. इसी तरह हिमाचल में 18.7 फीसदी लोग प्री डायबिटीज से जूझ रहे हैं. इसका राष्ट्रीय औसत 15.3 फीसदी है. मिजोरम में सबसे कम 6.1 फीसदी और सिक्किम में सर्वाधिक 31.3 फीसदी लोग प्री डायबिटीज से ग्रसित हैं.


56.1 फीसदी का पेट नॉर्मल नहीं


हिमाचल में 56.1 फीसदी लोग पेट के मोटापे की समस्या जूझ रहे हैं. वहीं, इसकी राष्ट्रीय औसत 39.5 फीसदी है. हिमाचल प्रदेश में 38.7 प्रतिशत लोग मोटापे (जेनेरलाइजड ओबेसिटी) के शिकार हैं. इसकी राष्ट्रीय औसत 28.6 फीसदी है यानी नेशनल एवरेज की तुलना में हिमाचल में 10 फीसदी अधिक लोग मोटापे की गिरफ्त में आ गए हैं.


कैसे करें मोटापे से बचाव?


इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के जुड़े डॉ. बलवीर वर्मा का कहना है कि मोटापे से बचाव के लिए जीवन शैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी है. आज हम लोग आराम की जिंदगी जीना पसंद कर रहे हैं, जबकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है. इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करना शरीर के लिए जरूरी माना जाता है.


बलवीर वर्मा ने कहा कि हम अमूमन गाड़ियों में सफर करना ही पसंद कर रहे हैं, लेकिन जितना ज्यादा पैदल चला जाए, यह शरीर के लिए फायदेमंद रहता है. इसके अलावा लोगों को मोबाइल और टीवी देखने में भी अपना काम समय व्यर्थ करना चाहिए. सुबह के वक्त अगर शहर की जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है.


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