Shimla News: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते हैं. अब इसी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में विपक्षी एकता की दूसरी बैठक होना तय हुई है. बैठक 10 जुलाई से 12 जुलाई के बीच होगी. सभी नेताओं से बातचीत के बाद बैठक की अंतिम तिथि तय होनी है. पटना में हुई बैठक में विपक्ष ने एक मंच पर आने और एकता का संदेश देने की कोशिश की. अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने का ब्लू प्रिंट तैयार करेगा.
अब पहाड़ों में रणनीति तय करेगा विपक्ष
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक को कांग्रेस शासित प्रदेशों में कराए जाने के खिलाफ थी. हालांकि अब यह बैठक कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश की राजधानी में ही होगी. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से निकली जीत की हवा ने कांग्रेस के लिए कर्नाटक में भी अहम भूमिका निभाई. ऐसे में अब शिमला के पहाड़ों पर भरोसा कर कांग्रेस पूरे विपक्ष के साथ ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए पहाड़ों का रुख कर रही है. पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक में 15 पार्टियों के 27 नेताओं ने हिस्सा लिया.
साल 2003 में हुई थी CWC की बैठक
इससे पहले साल 2003 में जब देश की सत्ता पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई काबिज थे, उस वक्त कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी शिमला में हुई थी. इसी बैठक में कांग्रेस ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए गठबंधन को महत्वपूर्ण माना था. शिमला इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है. भले ही विपक्ष की अन्य पार्टियां कांग्रेस को आगे करने में संकोच कर रही हों. लेकिन, यह बात भी सत्य है कि कांग्रेस एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय दल है जिसका देश के हर राज्य में प्रभाव है.
शिमला में होगी अगली बैठक
बैठक के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने भी कहा कि हर राज्य के लिए अलग रणनीति तय करनी होगी. एक रणनीति के तहत हर राज्य में जीत हासिल नहीं की जा सकती. सभी राज्यों की राजनीतिक स्थिति के मुताबिक ही रणनीति बनानी होगी. वहीं, बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि आज देश की नींव पर हमला हो रहा है. आरएसएस-बीजेपी की विचारधारा देश पर आक्रमण कर रही है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के बीच कुछ मतभेद हैं, लेकिन सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि शिमला में होने वाली बैठक में इसका ब्लूप्रिंट तैयार होगा.
बैठक में यह नेता रहे मौजूद
तमिलनाडु के मुख्यमंत्र एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की नेता ममता बनर्जी, उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राघव चड्ढा, संजय सिंह, लेफ्ट से डी. राजा, दीपांकर भट्टाचार्य, दीपांकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती. कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, NCP से शरद पवार, सुप्रिया सुले, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सपा के अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राऊत, JMM के हेमंत सोरेन, बिहार से JDU से नीतीश कुमार, संजय झा, ललन सिंह और RJD के तेजस्वी यादव और लालू यादव.