Horticulture in Himachal: शिमला में चेरी पर कहर बनकर टूटी है फाइटोप्लाजमा नाम की बीमारी, इतने करोड़ के कारोबार पर संकट
Himachal Pradesh News: शिमला जिले के बागी, कोटगढ़, नारकंडा, थानाधार, कंडियाली, और कुमारसैन में चेरी की फसल होती है. चेरी की फसल प्रदेश की आर्थिकी में करीब 200 करोड़ रुपये का योगदान देती है.
Shimla News: हिमाचल प्रदेश में चेरी की फसल पर फाइटोप्लाजमा नामक बीमारी कहर ढा रही है. शिमला जिले के बागी क्षेत्र में इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रकोप है. वहां करीब 150 बागवानों के चेरी के पेड़ फाइटोप्लाजमा की चपेट में हैं. शिमला जिला के बागी, कोटगढ़, नारकंडा, थानाधार, कंडियाली, और कुमारसैन में चेरी की फसल होती है. चेरी की फसल प्रदेश की आर्थिकी में लगभग 200 करोड़ का योगदान देती है. जिस पर संकट के बादल छा गए हैं. जिसको लेकर बागवानी विभाग अलर्ट पर है. बागीचों में फैटोप्लाजमा नामक बीमारी से पूरा पौधा अपने आप ही सूखने लग जाता है. बागवानों के मुताबिक पत्ते सूखकर अपने आप झड़ रहे हैं. हालांकि इस बीमारी के नाम के बारे में सही जानकारी बागवानी विभाग के पास भी नहीं है.
बागवानी विभाग करा रहा है जांच
फाइटोप्लाजमा बीमारी की जांच के लिए बागवानी विभाग ने विशेषज्ञों की टीम भी फील्ड में भेजी. बीमारी से ग्रसित पेड़ों से सैंपल इकट्ठा किए जा रहे हैं. निदेशक बागवानी सुदेश मोकटा ने बताया कि बीमारी के रोकथाम के लिए स्प्रे शेड्यूल पर भी काम किया जा रहा है. आज को क्योंकि चेरी के पेड़ों के पत्ते के झड़ रहे हैं, पत्तों के पूरी तरह झड़ने के बाद मार्च-अप्रैल में ही फाइटोप्लाजमा पर सही तरीके से अध्ययन हो पाएगा. बागवानी विभाग ने विशेष बैठक बुलाकर स्थिति से निपटने की रणनीति भी तैयार कर ली है. प्रदेश में चेरी के बगीचों में इस तरह की बीमारी पहली बार देखी गई है. इससे बागवानों में हड़कंप मच गया है.
आड़ू की फसल पर हो चुका है असर
यहां बागवानों को इसलिए भी चेरी फ़सल की बर्बादी का डर सता रहा है, क्योंकि कुछ साल पहले ही सिरमौर जिले के राजगढ़ क्षेत्र में आडू की फसल में भी इसी तरह की बीमारी पाई गई थी. परिणामस्वरूप क्षेत्र में आडू की फसल का अस्तित्व ही समाप्त गया था. इस कारण से चेरी के पेड़ों में लगी फाइटोप्लाजमा नामक बीमारी बागवानों और बागवानी विभाग के लिए सिरदर्द बन गई है. शिमला जिले के 400 हेक्टेयर भूमि पर चेरी की फसल होती है. जिले में करीब 850 मिट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है.
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