Himachal Politics: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में तापमान लगातार गिर रहा है. इस गिरते तापमान के बीच सियासी पारा लगातार चढ़ता हुआ नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश राज्य कांग्रेस और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच चल रही तीखी रार एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा है कि 11 दिसंबर को होने जा रहे कांग्रेस सरकार के एक साल के कार्यक्रम के लिए उन्हें कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया. न ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनके साथ कोई बैठक की है. प्रतिभा सिंह के इस बयान के बाद सरकार और संगठन के बीच छिड़ा सियासी शीत युद्ध खुलकर सामने आता हुआ नजर आ रहा है.
संगठन की वजह से बनी है सरकार
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि सरकार-संगठन की वजह से ही बनी है. बिना संगठन के सरकार नहीं बन सकती थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद संगठन से निकले हुए हैं. वह एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस और फिर हिमाचल कांग्रेस से होते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि वह संगठन को भी साथ लेकर चलेंगे. अगर संगठन को साथ लेकर चलेंगे, तो आने वाले वक्त में चुनाव लड़ने में आसानी होगी. प्रतिभा सिंह ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए यह बेहद जरूरी है कि पार्टी के लिए काम करने वाले पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चला जाए.
पहले भी चर्चाओं में रहे हैं प्रतिभा सिंह के बयान
यह पहली बार नहीं है, जब प्रतिभा सिंह ने खुलकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बयान दिया हो. इससे पहले भी इस तरह की बयानबाजी होती रही है. प्रतिभा सिंह ने पहले भी संगठन के लोगों को सरकार में नियुक्ति न मिलने पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने यह मामला दिल्ली में आलाकमान के समक्ष भी उठाया था. इसके अलावा प्रतिभा सिंह जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार की बात भी करती रही हैं.
हिमाचल सीएम की दौड़ में शामिल थी प्रतिभा सिंह
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के मौके पर भी प्रतिभा सिंह ने कहा था कि उन्हें दशहरा उत्सव में कुछ अलग नजर नहीं आ रहा. यह दशहरा जिस तरह से सालों से हो रहा है. यह दशहरा इस बार भी उसी तरह का है, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह इस व्यवस्था परिवर्तन वाला अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव बता रहे थे. साल 2022 में 8 दिसंबर के दिन हिमाचल विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद प्रतिभा सिंह भी हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री की दौड़ में थी, लेकिन इस दौड़ में सुखविंदर सिंह सुक्खू इक्कीस साबित हुए और उन्हें प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर काबिज होने का मौका मिला.